भले ही इसे राज्य सरकार की ओर से प्रारम्भ किया हो, लेकिन इनका संचालन स्वायत्तशासी सोसायटी के माध्यम से होने से विश्वविद्यालय की ओर से जारी डिग्री और अंकतालिका में भी राजकीय शब्द नहीं जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में बांसवाड़ा के अलावा, अजमेर , झालावाड़, भरतपुर, बीकानेर में भी कॉलेज स्वायत्तशासी सोसायटी के तहत संचालित हैं। इनमें से किसी भी अभियांत्रिकी कॉलेज को राज्य सरकार या किसी भी तरह से सरकारी बजट या अनुदान नहीं दिया जाता है। यहां पर होने वाले सभी खर्च आदि स्वयं को ही देखने होते है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढऩे वाले छात्रों पर होने वाला व्यय हो या फिर यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए रखे गए कार्मिक। इन सभी को वेतन एवं अन्य सभी खर्च कॉलेज की स्वायत्तशासी सोसायटी को ही वहन करना पड़ता है। वित्तीय और प्रशासनिक फैसले बोर्ड ऑफ गवनर्स में तय होते हैं। इसमें शिक्षाविद, व्यावसायिक समूह के प्रतिनिधि, तकनीकी शिक्षा, कार्मिक और वित्त विभाग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में राज्य सरकार की ओर से बांसवाड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन शुरू किया गया था।
कॉलेज को राज्य सरकार या केन्द्र सरकार की ओर से कोई अनुदान नहीं मिलता है। सभी तरह की व्यवस्थाएं सोसायटी करती है। अभी तक तो कभी परेशानी नहीं हुई। स्वायत्तशासी मॉड पर देने का निर्णय तो काफी वर्ष पूर्व हुआ था।
डॉ.शिवलाल, प्राचार्य, राजकीय अभि. कॉलेज