विरोध प्रदर्शन के दौरान कई शिक्षक-शिक्षिकाओं को काउंसलिंग के लिए अंदर परिसर में नहीं जाने दिया गया। इस पर पुलिस भी बुलाई गई। हालांकि जो शिक्षक काउंसलिंग के लिए सहमत थे, वह मौका मिलने के साथ परिसर में पहुंच गए और नव पदस्थापन के लिए सहमति भी जताई।
इधर, राजस्थान शिक्षक संघ अंबेडकर के जिलाध्यक्ष वालजी अड़ व अन्य पदाधिकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक को ज्ञापन दिया। इसमें जिले में वर्ष 2005 से पहले लगे शिक्षकों के नाम ब्लॉक की ओर से जिला मुख्यालय नहीं भेजने, 2006 में चयनित शिक्षकों को छह-डी में लेने और पूर्व के शिक्षकों को नहीं लेने पर आपत्ति जताई। वहीं काउंसलिंग की जानकारी समय से नहीं दिए जाने पर रोष जताया।
मईड़ा व अन्य का कहना था कि काउंसलिंग की सूची में विधवा, परित्यक्ता, दिव्यांग आदि के नाम थे, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। वरिष्ठ शिक्षकों को छोड़ कनिष्ठ शिक्षकों को सूची में शामिल कर दिया। प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर से 150 की सूची बीईईओ को भेजी गई थी, लेकिन उसमें से 15 नाम हटा दिए गए। इससे पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में है। इस दौरान विद्यालय के मुख्य द्वार पर एकत्र शिक्षकों ने नारेबाजी भी की।
विरोध करने वाले शिक्षकों-शिक्षिकाओं का कहना था कि शाला दर्पण में मंगलवार को दर्शित रिक्त पदों का उल्लेख काउंसलिंग की सूची में नहीं है। अधिकारी इसका जवाब नहीं दे रहे। इसके अलावा वर्तमान पदस्थापन के समीप के विद्यालयों में पद रिक्त हैं, लेकिन उन्हें पोर्टल पर नहीं दर्शाया जा रहा है। छह-डी में पहले नियुक्ति वाले शिक्षकों की बजाय बाद में नियुक्ति वाले शिक्षकों को सूची में शामिल कर दिया है। कई महिला शिक्षिकाओं ने यहां तक कहा कि वे अपने ब्लॉक से इतर दूसरे स्कूलों में नहीं जाना चाहती, इसलिए विरोध कर रही हैं।
विरोध करने वाले शिक्षकों की आपत्ति थी कि पहले भी काउंसलिंग में वरिष्ठ शिक्षकों को छोड़ दिया था। इस बार भी ऐसा हुआ है। जिला स्तर पर परीक्षण नहीं होने से यह विसंगति है। हमें प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 135 की सूची दी थी। हमने रिक्त पद अनुसार मेरिट बनाकर काउंसलिंग की और पदस्थापन आदेश जारी कर दिए।
– राजेंद्र प्रसाद द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक
– प्रेमजी पाटीदार, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक