scriptवतन के रक्षकों को सलाम… बेटे की मौत के बाद भी गए ड्यूटी करने, 24 घंटे बाद पहुंचे थे घर | Salute to the protectors of the nation… went to do duty even after the death of his son, reached home after 24 hours | Patrika News
बांसवाड़ा

वतन के रक्षकों को सलाम… बेटे की मौत के बाद भी गए ड्यूटी करने, 24 घंटे बाद पहुंचे थे घर

Banswara News : मैं वर्ष 2001 में इंडियन आर्मी का हिस्सा हो गया था। मेरा परिवार पंजाब में रह रहा था।

बांसवाड़ाAug 15, 2024 / 04:25 pm

Supriya Rani

बांसवाड़ा. मैं वर्ष 2001 में इंडियन आर्मी का हिस्सा हो गया था। मेरा परिवार पंजाब में रह रहा था। वर्ष 2021 की बात है। मैं ड्यूटी पर था। तभी एक सन्न करके रख देने वाली घटना की सूचना मिली। उसने मेरी पूरी जिंदगी बदल दी। यह कहना है भारतीय सेना में टैंक चालक रहे रोहित थापा का। जिन्दगी से कभी न मिट पाने वाले उस दर्द को फिर ताजा करते हुए रोहित बताते हैं – मेरा बेटा 8वीं क्लास में पढ़ता था। अपने एक दोस्त के साथ साइकलिंग करने गया था। वहां बच्चों का पानी में नहाने का मन हो गया। दोनों बच्चे सतलज नदी में नहाने उतर गए। कुछ समय में ही दोनों की डूबकर मौत हो गई। जैसे ही मुझे सूचना मिली, तो मैं सुन्न पड़ गया।
एक पल के लिए मैंने सोचा सबकुछ लुट गया। मैंने खुद को संभाला और साहस दिया। मैंने खुद के कर्त्तव्य को याद किया। मैंने सोचा, मैं सेना का सिपाही हूं, निजी जिन्दगी में कितना ही बड़ा कुछ क्यों न खोया हो, अपनी ड्यूटी पूरी करके घर जाऊंगा, बेटे का मुंह आखिरी बार देखने। थापा बताते हैं कि ड्यूटी खत्म होने के बाद वह कैंप में गए। तब अफसरों को इस हादसे के बारे में बताया। उन्होंने तत्काल छुट्टी मंजूर की। रोहित रुंधे गले से बोले ‘मैं अपने ही बेटे की मौत का गम दिल में लेकर लेह – लद्दाख से चंड़ीगढ़ के लिए लाइट से रवाना हुआ। वहां से सड़क मार्ग से घर पहुंचा। उस घटना ने मेरी जिंदगी कितनी बदल दी, यह मैं किसी से साझा तक नहीं कर सकता हूं।
सेना की नौकरी ही कुछ ऐसी है। यह नौकरी नहीं, बल्कि सेवा है। जब परिवार को सबसे अधिक जरूरत होती है, तब आप मां भारती की सेवा में लगे होते हैं। रोहित थापा मूल रूप से तो पंजाब के हैं, लेकिन बीते कुछ समय से बांसवाड़ा के हाउसिंग बोर्ड में निवासरत हैं।

सेना में ड्यूटी का अनुभव : पहला बुलेट पू्रफ आर्ड व्हीकल की टेस्ट ट्राइव


डीआरडीओ का बुलेट प्रूफ आर्ड व्हीकल सेना में शामिल होना था। पहली टेस्ट ड्राइव मैंने की। यह वाहन पानी में चल सकता है। तब सुप्रीटेंडेंट को बैठा 3 किलोमीटर पानी में चलाया। यह एक बार 30 डिग्री तक रिवर्स में फिसल गया। ऐसी स्थिति केवल आर्मी के ड्राइवर ही सभाल सकते हैं। हमने कर दिखाया। 25 टन का वह वाहन सभी प्रकार के हथियारों से लैस था। यह सीआरपीएफ व अन्य स्पेशल ऑपरेशन के लिए तैयार किया गया।

23 साल तक विभिन्न प्रकार के टैंक चलाए

रोहित थापा आर्मी में टैंक चालक थे, जन्होंने सामान्य टैंक के साथ बीएमपी टैंक, टैंक रिकवरी व्हीकल भी चलाया। वह गत 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए। उनकी पोस्टिंग राष्ट्रीय रायफल के साथ ही लेह-लद्दाख जैसे दुर्गम स्थानों, शांति सेना में विदेश में भी रही। वह कहते हैं, देशभक्ति का पाठ, हर स्कूल और हर कक्षा में पढ़ाना चाहिए। आज कितनी बुरी ताकतें हिंदुस्तान को झुकाने पर तुली हैं। हमें आज से ही अपने बच्चों को तैयार रखना चाहिए।

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