scriptRGHS : राजस्थान में ठगा सा महसूस कर रहे सरकारी कर्मचारी-पेंशनर्स, सामने आया चौंकाने वाला सच | RGHS: Government employees and pensioners in Rajasthan feel cheated, shocking truth revealed | Patrika News
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RGHS : राजस्थान में ठगा सा महसूस कर रहे सरकारी कर्मचारी-पेंशनर्स, सामने आया चौंकाने वाला सच

दवा न मिलने की समस्या कमोबेश योजना के तहत सूचीबद्ध अधिकांश दवा दुकानों पर देखी जा रही है। पत्रिका टीम ने जब पड़ताल की तो सच सामने आया।

बांसवाड़ाApr 17, 2024 / 12:28 pm

Anil Prajapat

बांसवाड़ा। राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) के तहत सरकारी कार्मिकों और पेंशनर्स को मिलने वाली दवा गलफांस बनी हुई है। भुगतान नहीं होने के कारण मेडिकल स्टोर लाभार्थियों को दवा नहीं दे रहे हैं, जबकि राज्य सरकार 44 करोड़ रुपए का भुगतान करने की बात कह, दवा न मिलने पर आरजीएचएस दफ्तर में शिकायत करने की बात कह रहा है।
दवा न मिलने की समस्या कमोबेश योजना के तहत सूचीबद्ध अधिकांश दवा दुकानों पर देखी जा रही है। पत्रिका टीम ने जब पड़ताल की तो सच सामने आया। मेडिकल स्टोर संचालक दवा लेने के लिए पहुंचने वाले लाभार्थियों को दवा पूरी नहीं, आज दवा उपलब्ध नहीं है.. सरीखे बहाने बनाकर लौटा रहे हैं। स्टोर संचालक बताते हैं कि महंगी दवा नहीं दे पाते हैं क्या करें।

अधिकांश जिलों में ऐसे ही हालात

उदयपुर : पेंशनर्स और कर्मचारियों को आरजीएचएस में कुछ दवा नहीं मिल रही, जो बाहर से लेनी होती है। लगभग 32000 कर्मचारी और करीब 25000 पेंशनर्स प्रभावित हो रहे हैं।
राजसमंद : कैल्शियम, विटामिन की दवाइयां नहीं मिल रही। करीब 21 हजार कर्मचारी और 18000 पेंशनर्स प्रभावित हो रहे हैं।

सीकर : भुगतान में देरी के कारण दुकानदार महीने की बजाय 15 दिन की दवाइयां ही दे रहे हैं।
अजमेर : पेंशनर्स-कर्मचारियों को करीब 30 से 40 कई दवाएं उपलब्ध नहीं है। 400 से 500 कर्मचारी प्रभावित हैं।

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विभाग : समय पर किया जा रहा भुगतान

आरजीएचएस परियोजना निदेशक ने पत्र जारी कर कहा कि अनुमोदित फॉर्मा स्टोर्स व कॉनफेड भंडार का भुगतान समय पर कराया जा रहा है। 31 जनवरी 2024 तक सभी को 4 अरब 43 करोड़ से अधिक के भुगतान के लिए बिल कोष कार्यालय को भेज दिए गए हैं।

दवा विक्रेता : नहीं हो रहा पूरा भुगतान

अनुमोदित निजी मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि भुगतान किया गया है, लेकिन बहुत कम। सहकारी उपभोक्ता दवा भंडार के संचालकों का कहना है कि एक-एक दुकान का दो-दो करोड़ रुपए के आसपास बकाया है। ऐसे में दवा दे पाना कठिन हो रहा है।
प्रोस्टेट की दवा लिखवाई थी। मेडिकल स्टोर वालों ने कहा बाद में आना। फिर दुकान पर गया तो बोले हम बजट समस्या को लेकर जयपुर जा रहे हैं लौट के आएंगे तब दें। पहले तो साफ मना कर देते थे, अब टरकाने लगे हैं। -लक्ष्मी नारायण त्रिवेदी, सेवानिवृत्त, राजस्व विभाग
हृदय रोग से पीड़ित हूं, चलने फिरने तक में दिक्कत है। योजना के तहत दवा नहीं मिलती इसलिए प्रतिमाह चार हजार रुपए की दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। ऐसी योजना का क्या फायदा। -चांदमल जैन, सेवानिवृत्त, शिक्षा विभाग

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