कभी शिक्षक बनने का सपना देखने वाला युवक अब विधायक बन चुके थे। लेकिन उनकी चाहत यहां से भी आगे बढ़ने की थी।फिर क्या… उतर आए सांसद बनने के अखाड़े में। मेहनत की, प्रयास किया, जिसका फल मिला। 31 साल की उम्र में ही वह पहली बार बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। यह प्रेरणादायक कहानी किसी और की नहीं नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) की। जिसका जन्म एक गरीब आदिवासी परिवार में हुआ लेकिन सपने गरीब नहीं थे।
सीकर में जीते अमराराम: दिल्ली जाने का सपना 20 साल बाद हुआ साकार; जानें जीतने के बाद पहला रिएक्शन
रोत के जन्म से पहले से पिता का साया उठ गया
राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) का अबतक का सफर मुश्किल भरा रहा है। गरीब आदिवासी परिवार से आने के साथ ही जन्म से पहले ही उनके पिता का साया उठ गया। रोत के जन्म के बाद सुराता धाम के गादीपती ने उनका नामकरण किया, आगे सहायता की। प्राथमिक शिक्षा के बाद रोत डूंगरपुर कॉलेज से BA और B.ed किया। 2018 में प्रतियोगी परीक्षा में असफल होने के बाद विधायक का चोरासी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े और प्रदेश भर में सबसे युवा विधायक चुने गए।
रोत 2023 में दोबारा से विधायक चुने जाने के बाद खुद की भारत आदिवासी पार्टी बनाई। 2024 में खुद की पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़कर सांसद चुने गए। रोत ने पूर्व मंत्री, सांसद और विधायक रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय को 2,47,054 मतों के बड़े अंतर से हराकर रिकॉर्ड कायम की। वहीं बागीदौरा विधानसभा में हुए उपचुनाव में उन्हीं की पार्टी से विधायक भी चुना गया।