ऐसे चढ़ा लापरवाही की भेंट
वर्ष 2010 में प्रोजेक्ट की घोषणा की गई। तब जिला प्रशासन से लेकर सरकार ने इसके ढोल बजाए। इसके साथ ही जमीन उपलब्ध कराने के लिए फाइल चला दी गई। जिलेभर में तलाश के बाद जमीन आवंटित की गई। जमीन आवंटित करने के बाद कंपनी से कोई संपर्क नहीं किया गया। यदि समय रहते जिला प्रशासन कंपनी पर दबाव बनाता तो काफी लोगों को रोजगार मिलने लगता। 3 साल में ही शुरू हो जाता बिजली बनना
छींच के बाद प्रस्तावित किए गए इस उद्योग में कृषि वेस्ट से
बिजली बनानी थी। इसके लिए क्षेत्र के
किसानों की अतिरिक्त कमाई होती। साथ ही यहां के लोगों को रोजगार के अवसर पैदा होते। यदि यह उद्योग लगता तो जिले में एक और प्रकार से बिजली बनने लगती। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह थी कि यह कम लागत का बड़ी उपलब्धि वाला प्रोजेक्ट था। कंपनी शुरू होने के 3 माह में ही प्रोडक्शन शुरू होना था। यहां बनने वाली बिजली का कुछ हिस्सा तो बांसवाड़ा को मिलना ही था।
कलेक्टर के आदेश पर जमीन वापस
बायोमास एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को दी गई जमीन 27 मार्च को वापस ले ली गई है। कम जमीन होने के कारण हम भी इसका कोई उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। हमें कम से कम 10 हेक्टेयर जमीन चाहिए होती है। प्रोजेक्ट को दी गई 8.02 हेक्टेयर जमीन हमारे लिए उपयोगी नहीं थी।
बी निमेष, आरएम रीको, बांसवाड़ा