गलाब डामोर की कहानी है संघर्ष से भरी
बड़ोदिया की रहने वाली गलाब डामोर पुत्री धनपाल डामोर वर्तमान में बड़ोदिया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानमंत्रीश्री में चयनित होकर कक्षा 12वीं विज्ञान वर्ग की छात्रा है। मां की निधन वर्ष 2015 में और पिता की मौत 2017 में हो गई। गलाब के दादा जन्म से हाथ और पैर दोनों से दिव्यांग हैं। दादी ही घर, खेत और बाहर का काम करती आई हैं।Kota News : सरकारी नौकरी मिलते ही पत्नी ने छोड़ा, परेशान पति ने खोला ऐसा राज, रेलवे रह गया हैरान, किया निलम्बित
यह नहीं सोचा कि पढ़ना छोड़ दूं…
गलाब से पत्रिका को बताया कि यह नहीं सोचा कि पढ़ना छोड़ दूं चाहे कितना भी संघर्ष क्यों न हो। दादी ही मजदूरी करके हमारा पेट पाल रही थी। सुबह घर का सभी कामकाज करके फिर विद्यालय जातीं हूं। छोटा भाई को भी संभालती है।Weather Update : बारिश से बदला मौसम का मिजाज, जानें 24-25-26 जनवरी को कैसा रहेगा राजस्थान का मौसम
शिक्षक बोले, होनहार है बालिका
विद्यालय के अध्यापक पवन जोशी ने बताया कि गलबा पढ़ने में अव्वल है। संस्था प्रधान अनुभूति जैन और कक्षा अध्यापक रोहित सोलंकी ने बताया कि बालिका होनहार होने के कारण समय-समय पर उसकी मदद के लिए आगे रहते हैं। चाइल्ड हेल्प लाइन के टीम लीटर कमलेश बुनकर ने बताया कि गलाब के पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र गलत बन गया था। इसके लिए उसने संपर्क किया था। ऐसे में प्रमाण पत्र को सही करवा दिया गया है। साथ ही कल्याणकारी योजनाओं में पंजीयन करा रहे हैं।Hindi News / Banswara / बालिका दिवस 2025 : फिर भी, ‘गलबा डामोर’ ने नहीं मानी हार, बनी सबके लिए मिसाल