माही नदी को वागड़ की गंगा कहा जाता है। मानसून के बाद जब माही नदी में पानी से भर जाती है तब इसकी खूबसूरती भी शबाब पर होती है। वहीं माही नदी के बैक वाटर के समीप बसा चाचाकोटा गांव कश्मीर की वादियों से प्रतियोगिता करता है। मानसून के बाद चाचाकोटा में नजर आने वाली सुंदरता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
बांसवाड़ा-रतलाम मार्ग पर माही नदी के ऊपर बने करीब 1.25 किमी लंबा महाराणा प्रताप सेतु (गेमन पुल) पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है। 80 के दशक में बने इस पुल से माही नदी का नजारा अद्भूत नजर आता है। यहां पर नदी के किनारे माही माता का मंदिर भी आस्था का केंद्र है।
जिले में अरथूना कस्बा पुरातन कलाकृतियों के लिए देशभर में विशेष स्थान रखता है। यहां करीब वर्षों पुराने परमार वंश के शासकों द्वारा निर्मित मंदिर व कलाकृतियां है। यहां भगवान शिव और हनुमान के मंदिर लोगों के लिए दर्शनीय है।
शक्तिपीठ मां त्रिपुरा सुंदरी का मंदिर जिले के तलवाड़ा कस्बे के समीप उमराई गांव में स्थित है जहां पर पंचाल समाज की आराध्य देवी का विशाल मंदिर निर्मित है। नवरात्र के दिनों में यहां लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने आते है। मां त्रिपुरा सुंदरी को राजयोग दिलाने वाली देवी की मान्यता प्राप्त है।