बेणेश्वर धाम प्रतिवर्ष मानसून में टापू बन जाता हैं। कई लोग धाम पर फंसे रहते हैं। इसका प्रमुख कारण धाम को जोडऩे वाले तीन प्रमुख पुल का काफी नीचे होना है। पुलों की ऊंचाई बढ़ाने की दिशा में काम होने पर इस समस्या का स्थायी रूप से समाधान मिल सकता है। वर्तमान में यहां पुल की मरम्मत के अलावा घाट निर्माण के कार्य हो रहे हैं। इसके अलावा शिवालय परिसर और आसपास के क्षेत्र में सफाई आदि की जा रही है। धाम को प्रदेश के धार्मिक पर्यटन सर्कि ट से जोडऩे के प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर-प्रतापगढ़ व उदयपुर जिले से सबसे नजदीकी होने के कारण बेणेश्वर धाम राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मंच का रूप लेने लगा है। विगत कुछ वर्षों में यहां प्रमुख राजनीतिक दलों के केंद्र स्तरीय बड़े नेताओं की सभाएं हुई हैं, लेकिन इन सभाओं के बाद बेणेश्वर को कदाचित भुला देने के कारण विकास की उम्मीदें परवान नहीं चढ़ पा रही हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मोदी की 24 नवंबर 2013 को कुशलबाग मैदान बांसवाड़ा विधानसभा चुनावी सभा हुई। 33 मिनट 59 सैकंड के भाषण में वागड़ को गुजरात से जोड़ते हुए वे बोले थे कि वागड़ के पसीने से गुजरात महकता है। उन्होंने बेणेश्वर, संत मावजी महाराज आदि का भी जिक्र किया था। साथ ही चिरपरिचित अंदाज में विपक्ष निशाने पर रहा था। इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले 12 अप्रेल 2014 को बेणेश्वर धाम पर मोदी की चुनावी सभा हुई। इसमें उन्होंने 19 मिनट भाषण दिया था। 12 मिनट तक गरीबी पर बोले थे एवं विपक्ष पर प्रहार किया था। मावजी महाराज के चौपड़े की भविष्यवाणियों का भी उल्लेख किया था।