ट्रस्ट ने कुछ वर्ष पूर्व आह्वान किया। इस पर अब बांसवाड़ा सहित अन्य जिलों के कई लोग इस मंदिर से जुड़े हैं और वह अपने परिजनों के जन्मदिन, पुण्यतिथि सहित विभिन्न दिवस पर केक काटने एवं आतिशबाजी करने के बजाय ट्रस्ट में एक दिन के भोजन के लिए यथा सामथ्र्य सहयोग राशि जमा कराते हैं। सेवा के इस अनूठे प्रकल्प के प्रति अब लोगों का उत्साह इतना है कि वर्ष की शुरुआत में ही पूरे वर्ष के भामाशाह तैयार हो जाते हैं। इस वर्ष के भी सभी गुरुवार बुक हैं।
– 3000 बच्चों को स्कूल डे्रस का किया वितरण
– उत्तम स्वामी महाराज की प्रेरणा से शुरू की थी सेवा
– हर गुरुवार 500 से 700 को मिलता है शुद्ध नि:शुल्क भोजन
– गुरु-पूर्णिमा एवं बसंत पंचमी पर 15 हजार लोगों का होता है भण्डारा
प्रेम का प्रसाद
ट्रस्ट के अध्यक्ष हर्ष कोठारी बताते हैं कि यहां हिन्दू-मुस्लिम सहित सभी समुदायों के अमीर-गरीब तबके के लोग प्रेम से प्रसाद पाते हैं। पूड़ी, सब्जी, देसी घी का हलवा एवं केसरिया मीठा भात खिलाया जाता है। ट्रस्ट में सचिव धरणीधर पण्ड्या, जनसंपर्क प्रभारी शैलेन्द्र वोरा, आरके अय्यर सहित शहर के विभिन्न स्वयंसेवी संगठन, सरकारी-गैर सरकारी महिला संगठन जुड़े हैं तथा तन-मन-धन से सहयोग कर रहे हैं।