पूरी तरह सहयोग को तैयार बामनिया ने कहा कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से सहयोग को तैयार है। किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं होगी। राज्य सरकार अपने दायित्व का निर्वहन करेगी। भूमि की उपलब्धता सहित अन्य आवश्यकताओं को लेकर कोई पत्रावली केंद्र सरकार को भेजनी हो या कोई और मांग हो, राज्य सरकार राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए सहयोग को तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री को निमंत्रण की जानकारी केंद्रीय मंत्री दे रहे हैं। उनके पास कोई निमंत्रण नहीं है। उन्होंने यह जरूर कहा कि मानगढ़ के विकास का जो फंड है, वह जनजाति विकास विभाग से आया है।
……………………………………………………… श्रद्धा-आस्था का विषय, चुनाव से लेना-देना नहीं- मेघवाल इधर, केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम सियासत का नहीं, श्रद्धा, आस्था और विरासत के संरक्षण का विषय है। आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत मंत्रालय के वंदना कार्यक्रम में मोदी मानगढ़ पर आएंगे। इसमें राजस्थान के बांसवाड़ा व डूंगरपुर, मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर और गुजरात के दाहोद व महीसागर जिलों से लोग आएंगे। तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री को भी आमंत्रण दिया है। इसका गुजरात के चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। मानगढ़ के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। सबसे पहला कार्यक्रम एबीवीपी ने यहां पर किया था। उसके बाद राज्य सरकारों ने विकास के काम किए।
डीपीआर से विकास की राह प्रशस्त मेघवाल ने कहा कि मोदी यहां धूणी दर्शन, स्मृति वन में पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद क्षेत्र का अवलोकन करेंगे। उनका एक घंटे का कार्यक्रम मिला है। मोदी के आने के बाद डीपीआर बनने की प्रक्रिया शुरू होगी। पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर, रोप-वे, कॉरिडोर आदि के माध्यम से विकास के क्या-क्या काम हो सकते हैं, इस पर विचार किया जाएगा। देश-दुनिया तक मानगढ़ का नाम पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्मारक की मांग की जा रही है। प्रधानमंत्री के संबोधन में ही इसका पता चलेगा।
आंदोलन का जनक बांसवाड़ा केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गोविंद गुरु के नेतृत्व में आजादी के आंदोलन के समय बेगारी, लगान देने आदि का विरोध किया गया। यह एक प्रकार से सविनय अवज्ञा आंदोलन था, जिसका जनक बांसवाड़ा है। आजादी के आंदोलन को अंग्रेजों ने विद्रोह बताया। पहाड़ी को घेर कर गोलियां बरसाई। 1500 से अधिक लोग शहीद हुए। अमृत महोत्सव के अमृत कालखंड के पहले वर्ष में आजादी के आंदोलन के अनाम शहीदों को सामने लाने का कार्य कर रहे हैं। इस दौरान जिलाध्यक्ष गोविंदसिंह राव व पूर्व अध्यक्ष ओम पालीवाल ने भी संबोधित किया।