प्रारंभ में सूत्रधार दीपेश दीप जोशी ने कवियों का परिचय कराया। इसकेे बाद कवयित्री निशा पंडित ने मां शारदे की वंदना की। वहीं कवि मयंक मीत ने हम तो हम भारत के बेटे लोह पुरुष कहलाते है..प्रस्तुत कर दाद पाई। वहीं उज्जैन की कवयित्री निशा पण्डित ने बेटियों के सम्मान में बेटी को बेटा कह देना कोई पाप नहीं..कविता पेश कर वाहवाहीं लूटी और भू्रण हत्या को लेकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। डूंगरपुर फलोज के आए कवि गोपाल सेवक ने आधुनिकता की दौड़ में फिल्मी हो गई युवा पीढ़ी कविता प्रस्तुत कर वर्तमान में नई पीढ़ी के भटकाव पर व्यंग्य कसा। कवि सतीश आचार्य बांसवाड़ा ने जो मिटे देश के खातिर, उन बलिदानों का सम्मान करों, मत भूलो देश सभी का है, मिलकर हुंकार करो…कविता पेश कर देशभक्ति की बात कहीं तो पांडाल में लोगों ने तालियां बजाकर कवि का सम्मान किया। संचालन सूत्रधार दीपेश दीप ने किया।
यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में कवियों का स्वागत ग्राम पंचायत की ओर से किया गया। वहीं इस अवसर पर सरपंच लक्ष्मणलाल निनामा, उप सरपंच हितेश कलाल और वार्ड पंच मौजूद रहे। वहीं उदाजी का गड़ा सरपंच, उपसरपंच दिनेश बुनकर, खेरवा सरपंच धीरजमल, जिला परिषद् सदस्य महावीर पुरी, आशीष तोलावत, भरतलाल भांड, मांगीलाल बुनकर, संजय सिंघवी, वीरेन्द्र मेहता, राकेश आमेटा, रमेश पटेल आदि मौजूद रहे।
दूसरे दिन परवान पर रहा
महाशिवरात्रि के उपलक्ष में आयोजित तीन दिवसीय मेला दूसरे दिन पूरे परवान पर रहा। शुक्रवार रात्रि आर्केस्ट्रा, भजन संध्या का कार्यक्रम हुआ था। वहीं रातभर कीर्तन किया। वहीं शनिवार रात को कवि सम्मेलन होने के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण उमड़ पड़े।