श्रद्धालु यहां
नवरात्रि व अवकाश के दिनों में आते रहते हंै। नन्दनी माता तीर्थ पर मुख्य मंदिर में देवी नन्दनी की श्वेत वर्णा पाषाण प्रतिमा है। सिंहवाहिनी अष्टभुजाधारी मां नन्दनी के प्रति यहां की आदिम संस्कृति में बेहद आस्थाएं हंै। मां नन्दनी के बारे में मान्यता है कि यह वही देवी है जो द्वापर युग में यशोदा के गर्भ से उत्पन्न हुई व जिसे कंस ने देवकी की आठवीं संतान समझकर मारने का यत्न किया था। कंस के हाथों से मुक्त होकर यह देवी आकाश मार्ग से यहां इस पर्वत पर आकर स्थापित हुई। नन्दा नामक इसी देवी का उल्लेख दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय के 42 वें श्लोक में मिलता है।
नवरात्र में होते हैं आयोजन नंदनी माता के मंदिर पर प्रतिवर्ष नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना तथा धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन होते रहते है। यही नहीं, हिन्दू मान्यताआें के अनुसार एक वर्ष में आने वाले सभी चार नवरात्र में यहां विशेष आयोजन होते है। पहाड़ी पर स्थित होने के साथ ही मंदिर की खूबसुरती लोगों को काफी आकर्षित करती है। क्षेत्र के आसपास के लोगों सहित दूर-दराज से भी लोग यहां माता के दर्शन कर मनोकामनाएं पूरी करने आते है। नवरात्रि के समय पर्वत पर स्थित मंदिर में आकर्षक सजावट की जाती है जो रात में दूर से ही लोगों को मोहित करती है। माना जाता है कि इस देवी धाम पर जो कोई भी सच्ची आस्था के साथ मन्नत मांगता है उसकी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती है।