104 साल पहले 17 नवम्बर, 1913 को मानगढ़ धाम पर गोविन्द गुरु के 1500 समर्थकों को गोलियों से भून दिया था। राज्य की सरकारों ने गत 10-15 साल से विकास के वादे कर करोड़ों खर्च भी किए, लेकिन प्रारंभिक चरण में ही भ्रष्टाचार हुआ। एेसे में अब तक विकास नजर नहीं आ रहा है। धरातलीय सच्चाई यह भी है कि आज भी धूणी एवं शहीद स्मारक के अलावा कोई अन्य निर्माण मूर्त रूप नहीं ले पाया है। हर साल 17 नवम्बर को विकास को लेकर घोषणाएं की जाती
हैं, लेकिन धरातल पर ये खोखली साबित हो रही हैं।
पत्रिका की मुहिम के बाद मानगढ़ धाम पर 2 लाख 16 हजार 741.41 वर्गफीट क्षेत्रफल का विकास करने राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से मास्टर प्लान तैयार करवाया है। प्रथम चरण में सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से यहां पहुंचने के लिए तीन किमी सडक़ को तीन मीटर से सात मीटर चौड़ी की जाएगी। इस पर तीन करोड़ 49 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। इसी तरह गोविन्द गुरु की स्मृति में 35 हजार 327 वर्गफीट क्षेत्रफल में 12 करोड़ 37 लाख रुपए से जनजाति स्वतन्त्रता संग्राम संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा, लेकिन इन कार्यों के शुरू होने का इंतजार है।
धाम पर द्वितीय चरण में एक लाख 81 हजार 414.41 वर्ग फीट में विभिन्न तरह के निर्माण प्रस्तावित है। इसमें प्रवेश द्वार, सर्किल का निर्माण, स्वागत दीवार, पेनोरमा का आधुनिकीकरण, स्वागत भवन का निर्माण, केन्टीन, खुला रंगमंच, धूणी का आधुनिकीकरण, उत्तर-पश्चिम दिशा में धर्मशाला एवं जन सुविधाओं का नवीनीकरण, धूणी के पीछे की धर्मशाला का आधुनिकीकरण, मेला ग्राउण्ड, शहीद स्मारक के आस-पास जन सुविधाओं का निर्माण, सभा स्थल का निर्माण, ‘वाय’ जक्शन से प्रवेश द्वार, प्रवेश द्वार से धूणी स्थल तक, प्रवेश द्वार से शहीद स्मारक तक एवं अन्य निर्माण कार्यों तक की पहुंच सडक़ का 3.75 मीटर चौड़ाई में सीसी ब्लॉक निर्माण के अलावा पौधरोपण, सडक़ के दोनों और विकास कार्य व जल संरक्षण संरचानाआें के निर्माण पर 22.40 करोड़ खर्च प्रस्तावित है।