बांसवाड़ा के निवेशकों के साईं प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनी में अटके 50 करोड़, लोगों के तकाजे पर अब एजेंट परेशान
साईं प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनी में बांसवाड़ा के करीब पांच हजार निवेशकों का करीब 50 करोड़ अटक गया है। इसे निकलने का रास्ता नजर नहीं आने पर निवेशक अब एजेंटों से भिड़ रहे हैं।
बांसवाड़ा के निवेशकों के साईं प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनी में अटके 50 करोड़, लोगों के तकाजे पर अब एजेंट परेशान
बांसवाड़ा. साईं प्रसाद ग्रुप ऑफ कंपनी में बांसवाड़ा के करीब पांच हजार निवेशकों का करीब 50 करोड़ अटक गया है। इसे निकलने का रास्ता नजर नहीं आने पर निवेशक अब एजेंटों से भिड़ रहे हैं। इससे परेशान कंपनी से जुड़े बांसवाड़ा के एजेंटों ने सर्व हित वेल्फेयर संगठन के बैनर तले कलक्टर से भेंटकर राहत दिलाने की गुहार लगाई। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चेतन जोशी व अन्य करीब उन्नीस एजेंटों की ओर से दिए गए हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन के मुताबिक वे भारत सरकार का पंजीयन देख और बेरोजगार होने की वजह से उक्त कंपनी से जुड़े। विश्वास कर मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों एवं अन्य से करोड़ों की पूंजी का उक्त कंपनी में विभिन्न माध्यमों से निवेश करवाया। धन की परिपक्वता का जब समय आया तो कंपनी की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई। एजेंटों कें मुताबिक कंपनी की वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर (एसईबीआई) भारतीय विनिमय एवं प्रतिभूति बोर्ड मुम्बई ने साईं प्रसाद गु्रप ऑफ कंपनी की अलग-अलग कंपनियों को नोटिस दिए। इनमें साई प्रसाद फूड्स लिमिटेड, प्रोपर्टी लिमिटेड तथा कोर्पोरेशन लिमिटेड है। सेबी की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से प्रकरण दर्ज किया गया। न्यायालय ने दिए पूंजी लौटाने के आदेश आर्थिक अपराध शाखा मुंबई ने कंपनी के खिलाफ 2 दिंसबर 2015 को प्रकरण दर्ज करते हुए कंपनी के पुणे स्थित मुख्यालय व देश भर मूेें संचालित सभी शाखाओं को चल अचल संपत्ति को सील किया और इसके निदेशक व संचालकों को गिरफ्तारी की। एमपीआईडी न्यायालय ने प्रकरण दायर हुआ। एमपीआईडी कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 30 जनवरी 2017 को निवेशकों के हित में निर्णय सुनाया और आर्थिक अपराध शाखा मुंबई व भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड को यह आदेश दिया कि साई प्रसाद गु्रप ऑफ कंपनी की ओर से संचालित सभी कंपनियों की जब्तशुदा सम्पत्तियों की बिक्री कर निवेशकों की जमा पूंजी का भुगतान किया जाए। बावजूद सेबी वे आर्थिक अपराध शाखा मुंबई की ओर से निवेषकों के भुगतान की कार्रवाई नहीं हुई है। नहीं मिल रही कहीं से मदद एजेंटों के मुताबिका उनकी जमा पूंजी के लिए कई बार कंपनी अधिकारियों से लेकर संबंधियों को नोटिस से लेकर अन्य कई प्रकार के प्रयास किए जा चुके हैं। इसके बाद भी इस ओर किसी प्रकार की सहायता मिलती हुई दिखाई नहीं पड़ रही है। इसके अलावा सरकारी पोर्टल से लेकर थानों में प्रकरण भी दर्ज करवा दिए हैं। उन्होंने बताया कि उदयपुर संभाग के करीब आठ हजार बेरोजगार युवकों ने यह काम किया, जिनके साथ करीब दो लाख से ज्यादा निवेशकों के करीब तीन सौ करोड़ की पूंजी का निवश कंपनी में किया जबकि पूरे राजस्थान का जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा और भी बड़ा है।
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