यह बात कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में पैलेस ग्राउंड के प्रिंसेस श्राइन में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कही। उन्होंने कृष्ण जन्म पर नंद बाबा की खुशी का उल्लेख करते हुए कहा कि जब प्रभु ने जन्म लिया तो कंस के कारागार से वासुदेव उनको लेकर नंद बाबा के यहां छोड़ आए और वहां जन्मी योगमाया को ले आए। नंद बाबा के घर में कन्हैया के जन्म की खबर सुन पूरा गोकुल झूम उठा। उन्होंने पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि पूतना कंस की भेजी गई एक राक्षसी थी और श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विष देकर मारना चाहती थी। पूतना कृष्ण को विषपान कराने के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वृंदावन में पहुंची थी। जब पूतना भगवान के जन्म के 6 दिन बाद प्रभु को मारने के लिए अपने स्तनों पर विष लगा कर आई तो कन्हैया ने अपनी आंखेंं बंद कर लीं। भगवान को दिखावा या छलावा पसंद नहीं, आप जैसे हो वैसे आओ।लीलाएं भक्तों के कल्याण के लिए
उन्होंने कहा कि भगवान जो भी लीला करते हैं वह अपने भक्तों के कल्याण या उनकी इच्छापूर्ति के लिए करते हैं। श्रीकृष्ण ने विचार किया कि मुझमें शुद्ध सत्वगुण ही रहता है, पर आगे अनेक राक्षसों का संहार करना है। दुष्टों के दमन के लिए रजोगुण की आवश्यकता है। इसलिए ब्रज की रज के रूप में रजोगुण संग्रह कर रहे हैं। पृथ्वी का एक नाम रसा है। श्रीकृष्ण ने सोचा कि सब रस तो ले चुका हूं अब रसा (पृथ्वी) रस का आस्वादन करूं। पृथ्वी का नाम क्षमा भी है। माटी खाने का अर्थ क्षमा को अपनाना है। भगवान ने सोचा कि मुझे ग्वालोंं के साथ खेलना है, किंतु वे बड़े ढीठ हैं। खेल-खेल में वे मेरे सम्मान का ध्यान भी भूल जाते हैं। कभी तो घोड़ा बनाकर मेरे ऊपर चढ़ भी जाते हैं। इसलिए क्षमा धारण करके खेलना चाहिए। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोप बालकों ने जाकर यशोदा माता से शिकायत कर दी। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदा ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है।श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन उद्धव चरित्र, रुक्मिणी विवाह, रास पंचाध्यायी का वृतांत सुनाया जाएगा। मुख्य यजमान पूनम गुप्ता, जे.के.गुप्ता, समिति के अध्यक्ष महेश कुमावत, सचिव सुरेश जांगिड़, सह सचिव संजय अग्रवाल, सह कोषाध्यक्ष संजय चतुर्वेदी, रतन पाण्डेय, ओमप्रकाश ठाकुर आदि मौजूद रहे।