शिक्षा’ में अंतर बताते हुए कहा कि शिक्षा को अन्य नौकरियों के समान माना जाना चाहिए। उन्होंने ज्ञान को मूर्त से अमूर्त की ओर जाने की प्रक्रिया बताया।
दूसरे सत्र में 21वीं सदी में शिक्षक की चुनौतियां विषय पर डॉ अशोक ने सीखने के महत्व को लेकर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।