बेंगलूरु. व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करें। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भागवत की कथा सुनें। केवल सुनें ही नहीं बल्कि भागवत की मानें भी। सच्चा हिंदू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने। गीता की सुनें और उसकी मानें, मां- बाप, गुरु की सुनें तो उनकी मानें भी तभी आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु आपको कभी दुखी नहीं कर पाएगी।
यह बात कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में पैलेस ग्राउंड के प्रिंसेस श्राइन में श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर कही।उन्होंने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि जो आनंद अपने भेष और अपने स्वभाव में है वह वीआईपी बनने में नहीं। इसलिए कन्हैया के ही बने रहें, स्वाभाविक ही बने रहें। कथा भी एक क्लास है जैसे बच्चे क्लास में जाते है वहां जाकर कुछ नया सीखते है, वैसे ही हर बार भगवान की कथा इसलिए श्रावण करते हैं कि जो हमने पीछे तक सुना है उससे कुछ अच्छा इस बार कर सकें और अपने जीवन को कन्हैया की तरफ और बढ़ा सकें। भगवान का स्वरुप है सतघन, चितघन,आनंदघन। ऐसे भगवन सच्चिदानंद को जो समस्त विश्व का पालन पोषण सृजन संहार करते हैं। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लें, अहंकार दूर हो जाएगा। भागवत कथा के पहले दिन की शुरुआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना से हुई। मुख्य यजमान जे. के. प्रसाद एवं पूनम गुप्ता ने देवकीनंदन ठाकुर का स्वागत किया। अध्यक्ष महेश कुमावत एवं सचिव सुरेश जांगिड़ ने श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया।