जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की एनजीटी की एक मुख्य पीठ ने ग्रीनपीस इंडिया के एक अध्ययन के बाद स्वतः संज्ञान लेते हुए एक मामला दर्ज किया, जिसका शीर्षक था बेंगलूरु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 2023 में सुरक्षित सीमा से दोगुना हो जाएगा।
अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार बेंगलूरु के रेलवे स्टेशन पर 295 दिनों तक एनओटू सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन की 10 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर की सुरक्षित सीमा से अधिक रही। जबकि शहर के अन्य क्षेत्रों में लगभग 120 दिनों तक अत्यधिक एनओटू रहा।
अधिकरण ने कहा कि अत्यधिक एनओटू के संपर्क में आने से अस्थमा, वायुमार्ग की सूजन, श्वसन जलन और मौजूदा श्वसन स्थितियों के बिगड़ने जैसे स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव होते हैं। पीठ ने कहा, इससे फेफड़ों का विकास बाधित हो सकता है, एलर्जी बढ़ सकती है और श्वसन मृत्यु दर और संचार संबंधी बीमारियों, इस्केमिक स्वास्थ्य रोग और यहां तक कि फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु की संभावना बढ़ सकती है।
पीठ ने केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी और केएसपीसीबी) के अधिकारियों के साथ-साथ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक से बनी समिति को साइट का दौरा करने, प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने और दो महीने के भीतर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
यह देखते हुए कि मामला एनजीटी के दक्षिणी क्षेत्र के अधिकार क्षेत्र में आता है, मुख्य पीठ ने रजिस्ट्री को 2 फरवरी, 2025 को चेन्नई पीठ के समक्ष मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।