भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन एवं प्रदर्शनी-2021 का उद्घाटन करते हुए सोमवार को शिवन ने कहा कि विदेशी कंपनियों ने भारत में निवेश के प्रति काफी रुचि दिखाई है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के पास भारतीय कंपनियों से साझेदारी करने की अपार संभावनाएं हैं। निजी कंपनियों और स्पेस स्टार्टअप्स के लिए इसरो के दरवाजे खुले हैं। वो आएं और अपनी तकनीक साझा करें। इसरो उन्हें बेहतरीन प्लेटफॉर्म देने के लिए तैयार बैठा है।
उन्होंने कहा कि एफडीआइ नीति में संशोधन किया जा रहा है जिससे विदेशी कंपनियों के लिए भारत में निवेश के व्यापक अवसर उपलब्ध होंगे। वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े सभी एफडीआइ को सरकार द्वारा मंजूरी दी जाती है जबकि उद्योग इसके लिए सहज प्रणाली चाहता है। इसे ध्यान में रखते हुए अंतरिक्ष विधेयक की समीक्षा अन्य मंत्रालयों द्वारा की जा रही है। नई एफडीआइ नीति भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच निरंतर भागीदारी सुनिश्चित करेगा जिससे दोनों को बहुत लाभ होगा।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के नामित अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कम बजट के बावजूद उन्नत प्रौद्योगिकी से जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उससे वह काफी प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि अरबों डॉलर की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है फिर भी वह अंतरिक्ष क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र है।
इस सम्मेलन में 40 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप तथा उद्योग अंतरिक्ष क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों में सहयोग करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी से चर्चा कर रहे हैं। शिवन ने कहा कि वे हर उद्योग के प्रस्ताव को देख रहे हैं और उनपर आगे की कार्रवाई के लिए विचार किया जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिक सचिव एवं प्रभारी (इन-स्पेस गतिविधि) आर उमा महेश्वरन ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग उपग्रह संचार से संबंधित नीतियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक को अलग अलग विभागों में समीक्षा और अंतर-मंत्रालय सलाह-मशविरे के बाद संसद में पेश किया जाएगा।