महेश ने शनिवार को याचिका वापस ले ली, जिसके बाद मैसूरु शहर के एक कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। विधायक ने कहा कि उन्होंने मुकदमा वापस ले लिया क्योंकि रोहिणी सिंधुरी ने उनसे माफी मांगी थी। दोनों के बीच तनातनी के बाद विधायक ने आइएएस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी।
इसी साल फरवरी में आईएएस अधिकारी पी मणिवन्नन की मध्यस्थता में किए गए समझौते की तस्वीरें सामने आईं थीं, जिसके बाद आइपीएस अधिकारी डी.रूपा ने सिंधुरी के खिलाफ भ्रष्टाचार और के आरोप लगाए थे। विवाद के बाद सिंधुरी और रूपा दोनों को बिना पोस्टिंग के स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस मामले से संबंधित एक ऑडियो लीक के कारण राज्य की नौकरशाही को काफी बदनामी झेलना पड़ी थी क्योंकि एमएलसी एएच विश्वनाथ ने सवाल किया था कि कैसे मणिवन्नन ने महेश और सिंधुरी के बीच मध्यस्थता की। उन्होंने पूछा था कि क्या राज्य सरकार ने अधिकारी को ‘मामले निपटाने’ का अधिकार दिया है।
पूर्व मंत्री महेश ने सिंधुरी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव भी पेश किया था और राज्य विधानमंडल के हालिया बजट सत्र के दौरान उनके खिलाफ शिकायतें उठाने के लिए समय मांगा था। इसके बाद विधायक ने कहा था कि सिंधुरी ने माफी मांग ली है और अब वो इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाएंगे।
सरकार और मुख्य सचिव को सौंपे गए दस्तावेजों के बारे में पूछे जाने पर महेश ने कहा कि सरकार तय करे कि एक्शन लेना है। उन्होंने कहा था, मैं कार्रवाई शुरू करने या इस (मामलों) के बारे में कोई बयान देने के लिए कोई दबाव नहीं बनाऊंगा।