भारतीय मौसम विभाग बेंगलूरु के निदेशक जीएस पाटिल के अनुसार राज्य में दक्षिण पश्चिम मानसून का आदर्श समय 1 जून से 30 सितंबर है। चार महीनों के दौरान राज्य में सामान्य स्थिति में 841 मिलीमीटर बारिश होती है लेकिन, इस बार 1032 मिमी बारिश हुई है। यानी औसत से 23 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। साथ ही बारिश का औसतन राज्य के हर भूभाग में हुई जिससे इस बार राज्य में सूखे जैसी बेहद कम तालुकों में हैं और आने वाले महीनों में पेजयल संकट भी नहीं होना चाहिए। तटीय कर्नाटक में औसत से 23 प्रतिशत अधिक और दक्षिण तथा उत्तर कर्नाटक में औसत से 22 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।
इसके बावजूद इस बारिश का किसानों के बड़े वर्ग को पूरा फायदा नहीं मिला है। इसका कारण है पिछात बारिश होना। जून और जुलाई की तुलना में अगस्त और सितंबर महीने में ज्यादा बारिश हुई है जबकि खेती के लिए आरंभिक महीनों में बारिश चाहिए। जून और जुलाई में औसत से कम बारिश होने का असर खेती पर पड़ा और या तो किसानों ने देर से बुआई की या फिर कुछ जगहों पर बुआई ही नहीं हुई। इस बार बेलगावी में औसत से ९० प्रतिशत और मैसूरु में ६७ प्रतिशत अधिक बारिश हुई। वहीं, कोलार में सामान्य से १९ प्रतिशत और यादगीर में 16 प्रतिशत कम बारिश हुई। अतिवृष्टि के कारण बेलगावी में बाढ़ की नौबत आ गई जबकि कोलार अब तक सूखा है।
मानसून अब भी सक्रिय
जीएस पाटिल के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश अगले कुछ दिनों तक होगी। वहीं 15 अक्टूबर के बाद उत्तर पूर्व मानसून सक्रिय होने की संभावना है। इससे अगले 40 दिनों के दरम्यान राज्य में बारिश की बौछार होगी। विशेषकर दक्षिण अंदरुनी कर्नाटक और तटीय कर्नाटक के इलाकों में ज्यादा बारिश होगी।
राज्य में 76 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य था लेकिन 66 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई। वहीं कुछ जिलों में आई भीषण बाढ़ के कारण 8 लाख हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो गई जबकि कुछ जिलों में औसत से कम बारिश के कारण 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर फसलें खराब हुई है।
जीएस श्रीनिवास रेड्डी,
निदेशक, कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र