भदौरिया ने कहा कि उम्मीद है कि बहुत जल्द वायुसेना के युद्धक विमानों, परिवहन बेड़े के जहाजों और हेलीकॉफ्टरों पर चिकित्सा पेशेवरों को पूर्ण प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू होगा। उन्होंने कहा ‘कुछ दशक पहले तक यह हमारे कार्यक्रमों में शामिल था और काफी उपयोगी था। किसी कारण शायद हमें लगा कि हमने काफी कुछ सीख लिया है। लेकिन, आज परिदृश्य बदल गया है क्योंकि युद्धक मिशनों की अवधि लंबी हो गई है। दो दशक पहले युद्धक मिशन 45 मिनट से एक घंटे के होते थे जो अब 2-3 घंटे के हो गए हैं। अब प्रशिक्षण भी 2 से 3 घंटे के होते हैं। अब नए दौर के युद्ध इसी तरह से लड़े जाएंगे।’
दरअसल, लंबी अवधि के युद्धक मिशनों के सामान्य होने से वायुसेना के शीर्ष अधिकारी पायलटों की जरूरतों के बेहतर ढंग से समझने के लिए चिकित्सकों से इनपुट लेना चाहती है। वायुसेना प्रमुख ने कहा ‘कॉकपिट से बेहतर तालमेल स्थापित करने और कॉकपिट को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है। कॉकपिट को समझने के तरीके में बदलाव तभी आएगा जब चिकित्सा अधिकारी खुद उसे देखेंगे और समझेंगे। इस टीम वर्क से न सिर्फ हमें अपनी कार्यप्रणाली को संशोधित करने में मदद मिलेगा बल्कि नई परिस्थितियों से निपटने के लिए नई प्रक्रियाएं विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।Ó उन्होंने कहा कि कहा कि जब डॉक्टर वायुसेना के विमानों में नियमित उड़ान भरेंगे तो उन्हें गहन परिचालन अनुभव मिलेगा। पिछले वर्ष सभी लड़ाकू बेड़े में एविएशन मेडिसिन डॉक्टरों की नियुक्ति सुनिश्चित की गई। इसके बाद दूसरे महत्वपूर्ण फ्लाइंग स्क्वाड्रनों में भी यह प्रक्रिया शुरू की गई। ये कदम बड़े बदलाव लाएंगे।