अन्न भाग्य योजना के तहत लाभार्थियों को 34 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से नकद देने का फैसला किया था क्योंकि राज्य सरकार को अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में चावल खरीदने में कठिनाई हो रही थी। लेकिन अब करीब दो साल बाद हालात बदल चुके हैं। पूर्व में राज्य सरकार को चावल देने से इंकार करने वाली केंद्र सरकार ने अब कर्नाटक सरकार को सस्ती दरों पर चावल देने की पेशकश की है ताकि राज्य सरकार नकदी के बजाय चावल वितरित कर सके।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी ने रविवार को हुब्बल्ली में कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में अच्छे स्टॉक के बाद, केंद्र ने चावल की कीमत कम कर दी है। राज्य सरकार अपने अन्न भाग्य वादे को पूरा करने के लिए चावल खरीद सकती है।
34 नहीं अब 22.50 रुपए प्रति किलो
उन्होंने कहा, राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री के एच मुनियप्पा ने अतिरिक्त चावल के लिए केंद्र से संपर्क किया था, फिर सूखे के कारण चावल की कमी हो गई। चावल की कीमत 34 रुपये थी, बाद में इसे घटाकर 28 रुपये प्रति किलो कर दिया गया। अब केंद्र के पास अच्छा स्टॉक है और हम परिवहन शुल्क सहित 22.50 रुपये प्रति किलो की दर से राज्य सरकार को चावल उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं।
मासिक 190 करोड़ रुपए की बचत
उन्होंने कहा, चावल की कमी के कारण राज्य सरकार बीपीएल कार्ड धारकों को पैसे दे रही है। अब पैसे देने के बजाय राज्य चावल दे सकता है और कंेद्र चावल देने के लिए तैयार है। जोशी ने यह भी कहा कि कार्ड धारकों को चावल देकर, राज्य सरकार मासिक 190 करोड़ रुपए और सालाना 2,280 करोड़ रुपए बचा सकती है।
केंद्र की योजनाओं का श्रेय नहीं दे रही राज्य सरकार
केंद्रीय मंत्री ने कर्नाटक सरकार पर केंद्र सरकार का नाम लिए बिना कई केंद्रीय सरकारी कार्यक्रमों को लागू करने का भी आरोप लगाया। जोशी ने कहा, स्वामित्व योजना, जो केंद्र द्वारा शत-प्रतिशत वित्त पोषित है, अब राज्य में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार का नाम लिए बिना शुरू की गई है, जो राज्य सरकार का शर्मनाक कृत्य है।