बेंगलूरु. आचार्य विद्यासागर की स्मृति में सकल जैन समाज, बेंगलूरु के तत्वावधान में विनयांजलि सभा का आयोजन यलहंका में नवीन त्रिमूर्ति जिनालय के पंच कल्याणक महोत्सव के कार्यक्रम स्थल पर मुनि कुंथुसागर के सान्निध्य में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुनि कुंथुसागर ने कहा कि आचार्य विद्यासागर एक शिल्पी थे जिन्होंने मिटी को घड़ा बना दिया। उनके द्वारा रचित मूक मति एक काव्यात्मक धरोहर है जिसमें अधात्म और जीवन शैली का अनोखा वर्णन है। तीर्थ रक्षा के लिए उन्होंने सभी को प्रेरित किया और कुण्डलपुर वीणाबराह , नेमावर , रामटेक , अमरकंटक , डोंगरगढ़ आदि तीर्थ पर नवीन जिनालय की स्थापना हुई। समाज उत्थान के लिए अहिंसात्मक वस्त्रों का उपदेश दिया। गौ माता के रक्षा के लिए दयोदय गोशाला की स्थापना हुई। मुनि ने इस अवसर पर आचार्य के साथ बिताए हुए अनेक प्रसंग सभी के साथ साझा किए।
संचालन ज्ञानोदय, बेंगलूरु के ट्रस्टी राकेश बर्या और चक्रेश्वरी जैन मंदिर की जयापद्मा ने किया। आचार्य के जीवन से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री का भी प्रसारण हुआ।
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