खंड्रे ने कहा, अभयारण्य में भारतीय ग्रे वुल्फ प्रजाति है, और हाल ही में एक भेड़िये आठ शावकों को जन्म दिया है। आमतौर पर, भेड़ियों के केवल 50 प्रतिशत शावक ही जीवित रहते हैं, लेकिन वन अधिकारियों ने सभी शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए हैं।
उन्होंने कहा कि 332 हेक्टेयर में फैला बांकापुर भेड़िया अभयारण्य झाडिय़ों वाले जंगलों, पहाडिय़ों और प्राकृतिक गुफाओं से बना है। यह अभयारण्य भेड़ियों, तेंदुओं, मोर, काले हिरण, लोमडिय़ों, खरगोशों और साही सहित कई वन्यजीव प्रजातियों का घर है।
15वीं वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस क्षेत्र को कर्नाटक का पहला भेड़िया वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। इसके अलावा, 18 जनवरी को मंत्री की अध्यक्षता में उपसमिति की बैठक में इसे पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में नामित करने का निर्णय लिया गया था।
पर्यटन स्थल बनाने की योजना
मंत्री ने कहा, बांकापुर भेड़ियाअभयारण्य में अब नए बच्चों सहित लगभग 35-40 भेडिय़े हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए गए हैं और मनुष्यों द्वारा नवजात बच्चों को परेशान करने से रोकने के लिए सावधानियां बरती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि गंगावती शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित अभयारण्य को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा, अधिकारियों को सफारी स्थापित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन कर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।