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बैंगलोर

बीस हजार किमी लंबी सडक़ों का होगा क्रमोन्नयन: कारजोल

प्रश्नकाल के दौरान ही भाजपा के अरगा ज्ञानेन्द्र के एक सवाल के जवाब में कारजोल ने कहा कि पारंपरिक वन अधिकार कानून के तहत भूमि मंजूरी के लिए दायर की गई अर्जियों के तिरस्कृत होने पर उन अर्जियों पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से नए दिशा निर्देश मिलने के बाद कुछ कानूनी प्रावधानों का सरलीकरण किया जाएगा। अर्जियों का निपटारा करने के लिए अनिवार्य तौर पर बैठकें बुलाने के निर्देश दिए जाएंगे।

बैंगलोरMar 16, 2020 / 09:42 pm

Surendra Rajpurohit

बीस हजार किमी लंबी सडक़ों का होगा क्रमोन्नयन: कारजोल

बीस हजार किमी लंबी सडक़ों का होगा क्रमोन्नयन: कारजोल

बेंगलूरु

राज्य के लोक निर्माण व समाज कल्याण मंत्री गोविन्द कारजोल ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में 20 किमी लंबी ग्रामीण सडक़ों व जिला राजमार्गों का क्रमोन्नयन करने का प्रस्ताव किया है।
विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल में कांग्रेस के ईश्वर खंड्रे के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 20 हजार किमी लंबी सडक़ों का क्रमोन्नयन किया जाएगा। जिन स्थानों पर सडक़ों का क्रमोन्नयन किया जाना है उस बारे में चालू अधिवेशन के बाद सूची तैयार की जाएगी।सडक़ों के विकास का यह कार्य सभी विधानसभा क्षेत्रों में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाल्की विधानसभा क्षेत्र के तहत 34 किमी लंबे क्रमोन्नत जिला राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरित किया गया है।
इस सडक़ के सुचारू रख- रखाव के बारे में अधिकारियों को सूचित किया जाएगा। इससे पहले ईश्वर खंड्रे ने प्रश्न पूछते समय कहा कि पहले से क्रमोन्नत किए गए जिला राजमार्ग के रख रखाव के बारे में उलझन बनी हुई है।लोक निर्माण विभाग व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में से कोई भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं।
प्रश्नकाल के दौरान ही भाजपा के अरगा ज्ञानेन्द्र के एक सवाल के जवाब में कारजोल ने कहा कि पारंपरिक वन अधिकार कानून के तहत भूमि मंजूरी के लिए दायर की गई अर्जियों के तिरस्कृत होने पर उन अर्जियों पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से नए दिशा निर्देश मिलने के बाद कुछ कानूनी प्रावधानों का सरलीकरण किया जाएगा। अर्जियों का निपटारा करने के लिए अनिवार्य तौर पर बैठकें बुलाने के निर्देश दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि भूमि का हक पाने के लिए तीसरी पीढ़ी या 75 साल पुराने दस्तावेज उपलब्ध करवाने की शर्त में बदलाव करना संभव नहीं है। इस संबंध में केन्द्र सरकार जल्द ही समुचित निर्णय करेगी। केन्द्र की रिपोर्ट मिलने के बाद मोजूदा कानून को सरलीकृत करने के बारे में निर्णय किया जाएगा।

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