बांदा सदर सीट से विधायक प्रकाश द्विवेदी ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि बांदा रामायण काल से ही गौतम ऋषि के पुत्र बामदेव की तपोस्थली रही है। उन्होंने बताया कि वेदों के अनुसार सप्तऋषियों में महर्षि बामदेव का भी नाम आता है। जिसके आधार पर ज्ञात स्त्रोतों अनुसार पूर्व में इस स्थान क्षेत्र का नाम बाम्दा हुआ, फिर बाद में भ्रम के चलते बांदा हो गया था। विधायक ने बताया कि शहर में केन नदी के किनारे बामदेव का प्राचीन मंदिर और उनके द्वारा स्थापित शिवालय भी है। मान्यता है कि त्रेतायुग के समय भगवान राम, माता जानकी और लक्ष्मण जी के साथ महर्षि बामदेव से मिलने इस स्थान पर आए थे। विधायक ने अपने पत्र में कहा कि किसी के लिए भी यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि बांदा शब्द का इतिहास क्या है।
यूपी में जिलों के नाम बदलने का ट्रेंड कोई नया नहीं भाजपा से पहले भी सपा और बसपा की सरकारें जिलों के नाम बदल चुकी है। 2017 में यूपी की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी मुगलसराय जिले का नाम बदलकर दीनदयाल नगर किया था। कुंभ शुरू होने से पहले इलाहाबाद जिले का नाम प्रयागराज और फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर चुके हैं। इसके अलावा आगरा को अग्रवन, आजमगढ़ को आर्यमगढ़, गाजीपुर को गाधिपुरी, सुल्तानपुर को कुशभवनपुर, अलीगढ़ को हरिगढ़ करने की मांग भाजपा के सांसद और विधायक कर चुके हैं। इसके अलावा मैनपुरी, कानपुर, मुजफ्फरनगर और अब बांदा जिले का नाम बदलने की मांग उठी है।
क्या मायावती को कमजोर कर पाएंगी बेबीरानी मौर्य?
मायावती भी बदल चुकी हैं जिलों के नाम
उत्तर प्रदेश में नाम बदलने का चलने कोई नयी बात नहीं। इससे पहले मायावती ने अपने अलग-अलग कार्यकाल में नए जिले बनाकर दलित और पिछड़े वर्ग से जुड़े संतों और महापुरूषों के नाम पर किया था। तब भारतीय जनता पार्टी ने मायावती के इस फैसले का जमकर विरोध किया था। मायावती ने कासगंज जिले का नाम कांशीराम नगर, अमेठी को जिला बनाकर छत्रपतिशाहूजी नगर किया था। इसके अलावा अमरोहा का नाम ज्योतिबा फुले नगर, हाथरस जिले का नाम बदलकर महामाया नगर किया था। नाम बदलने की राजनीति का शिकार हाथरस जिला से सबसे ज्यादा हुआ है। इसके अलावा बसपा के शासन में ही कानपुर देहात का नाम बदलकर रमाबाई नगर, संभल का नाम भीमनगर, शामली का नाम प्रबुद्धनगर और हापुड़ का नाम पंचशील नगर कर दिया था। सपा ने जिलों के पुराने नाम किए थे बहाल
इसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2012 में जब यूपी की सत्ता संभाली थी तो उन्होंने नए जिले तो बरकरार रखे, लेकिन जिलों के बदले गए नामों की जगर पुराने नाम फिर बहाल कर दिए थे। जिस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे महापुरूषों का अपमान बताया था।