मर्का घाट पर यमुना नदी में डूबी नाव में ही निभौर गांव के रहने वाले बाबू और उसकी पत्नी सीता सवार थे। यह दोनों यमुना नदी में डूब गए है। दूसरे दिन शुक्रवार तक इन दोनों का कोई पता नहीं चल पाया है। सीता का मायका फतेहपुर जनपद के लक्ष्मणपर सरकंडी में है। वह रक्षाबंधन में गुरुवार को भाई को रक्षासूत्र बांधने पति के लिए जा रही थी। दोनों गुरुवार को साइकिल से सुबह 10 बजे घर से निकले थे। बच्चों को खाना खिलाने के बाद कथा कि शाम तक वह वापस घर आ जाएंगे। लेकिन शाम तक दोनों घर नहीं पहुंचे। इनकी 11 वर्षीया बेटी अंकिता व 10 वर्षीया बेटा अनुज ने शाम को परिजनों से पूंछा कि अभी तक मां-बाप नहीं आए। लेकिन परिजन उनको कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थे। सभी की आंखों से आंसुओं की धारा तो बह रही थी, लेकिन अंकिता व अनुज को घटना की जानकारी देने से बचने के लिए उनकी आंखों से आंसू की धारा कुछ पल के लिए ठहर गई। रुंधे गले से वह यही बता रहे कि जल्द ही मां-बाप आने वाले है। कुछ धीरज रखो। दूसरे दिन भी दोनों भाई-बहन अपने मां-बाप के न आने की चिंता जाहिर करते हुए परिजनों और रिश्तेदारों से पूंछते रहे, पर कोई उनको यमुना की लहरों में समा जाने वाले उनके मां-बाप की जानकारी देने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
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‘हर-हर शंभू’ गाने की गायिक फरमानी नाज का गाना यूट्यूब ने हटाया, जानिए क्या कर दी गलती सब तौ पूंछत हवैं, कोऊ उनका पता नहीं लगा पावै फतेहपुर जिले के सरकंडी गांव की रहने वाली जावित्री कालिंदी तीरे पति के वापस आने की राह देख दहाडें मारकर रोती रही। घर-परिवार और रिश्तेदारों के यहां से आई महिलाएं उसके आंसुओं को पोंछ धीरज बंधा रही थी। यमुना में डूबे पति की राह देखते-देखते जावित्री की आंखें पथरा गई है। बदहवाश हालत में जावित्री यही कहती रही कि सब तौ पूंछत हवैं, कोई उनका पता नहीं लगा पावै। जावित्री का पति 40 वर्षीय झुल्लू कई माह माह बाद गुजरात से मजदूरी कर रक्षाबंधन के त्योहार में गांव लौटा था। झुल्लू की ससुराल मर्का थाना क्षेत्र के समगरा गांव के भरहा डेरा में है। वह बुधवार की रात ससुराल में रुका। दूसरे दिन गुरुवार को वह अपने गांव के लिए रवाना हुआ। उसे बहन से राखी बंधवानी थी। उधर पत्नी जावित्री भाई को राखी बांधने के लिए अपने तीन बच्चों 13 वर्षीय ओमप्रकाश, 9 वर्षीय खुशबू व 5 वर्षीय अंकित को घर पर छोंडकर मायका भरहा डेरा चली आई। जावित्री और उसके पति झुल्लू की रास्ते में भेंट तक नहीं हुई। शाम को जब जावित्री को पता चला कि यमुना में डूबी नाव में उसका पति भी सवार था। यह सुनते ही जावित्री दहाडें मारने लगी।
नाव डूब रही है, अब न बचिबे और फिर फोन कट गया यमुना में डूबी नाव में कुमेढ़ा गांव की रहने वाली 40 वर्षीया सीमा पत्नी रामसजीवन भी सवार थी। बताते हैं कि पति रामसजीवन ने सीमा से पहुंचने की जानकारी के लिए फोन पर बात की थी। जिस समय उसने फोन किया था, उस दौरान नाव बीच मझधार में हवा के झोंको के साथ ही यमुना की लहरों से टकरा रही थी। नाव का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया था। सीमा ने पति से फोन पर यही कहा कि हमरी नाव डूबत हवै, अब हम न बचिबै। इतना कहने के बाद फोन कट गया। फिर पति ने कई बार फोन लगाया, पर नहीं लगा। इसके बाद चिंतित सीमा के परिजन यमुना घाट पहुंच गए। सीमा का भी अभी तक कोई पता नहीं चला है। उसकी पुत्री व बेटे का भी रो-रोकर बुरा हाल है।