गौरतलब है कि जब से पांगन नदी में रेत उत्खनन (Sand mining) के लिए रेत खदान की नीलामी हुई है, तब से लेकर आज तक लगातार नियम-कायदे कानून को धता बताकर अवैध रेत उत्खनन करने का आरोप ग्रामीण लगाते रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि लीज कहीं का एवं खनन कहीं और होता आ रहा है।
टू-लेन सड़क को दे रहे थ्री लेन का स्वरूप
ग्राम त्रिशूली के महुआ घाट में वन भूमि जहां पर वन विभाग के द्वारा पौधरोपण किया गया था परंतु रेत के अवैध उत्खनन करने के लिए रेत माफियाओं द्वारा हजारों पेड़ पौधों की बलि देते हुए यहां पर टू लेन सड़क का निर्माण कर दिया गया था।
लंबा चला था ग्रामीणों का आंदोलन
पांगन नदी में हो रहे अवैध रेत उत्खनन को लेकर बड़ी संख्या में ग्रामीण पांगन नदी में हफ्तों अवैध रेत उत्खनन का विरोध करते हुए धरने पर बैठ रहे थे। स्थिति ऐसी थी कि रात दिन ग्रामीण नदी में ही धरना देकर बैठ गए थे। यहीं पर भजन-कीर्तन होता था एवं भोजन-पानी भी यहीं पर हो रहा था।
जिस-जिस गांव में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है उस उस गांव के विकास को भी ग्रहण लग रहा है। क्योंकि रेत से ओवरलोड ट्रक ग्रामीण सड़कों पर चल रहे है जिससे सड़कों की भी स्थिति अत्यंत दयनीय होती जा रही है। जिस-जिस रास्ते से रेत लोड ट्रक गुजर रहे हैं, उन रास्तों की ऐसी स्थिति हो गई है कि वहां बरसात के समय तो पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। ऐसे में गांव के विकास को भी ग्रहण लग रहा है।
संकट में नदी का अस्तित्व
जिस प्रकार से पांगन नदी (Pangan River) में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। उससे नदी के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है क्योंकि लगातार रेत के उत्खनन किए जाने से कई स्थानों पर रेत ही खत्म हो गए हैं। स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां पर अब पेड़ पौधे जमना शुरू हो गए हैं जिससे आने वाले समय में क्षेत्र में रेत मिलना भी मुश्किल हो जाएगा और नदी अपना अस्तित्व ही खो देगी।
जांच कराकर करेंगे कार्रवाई
ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार अभी नदियों में रेत खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। अगर ऐसा हो रहा है तो इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
अभिषेक गुप्ता, एसडीएम, रामानुजगंज