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बलरामपुर

चार साल से टूट कर लटके पुल से ही आना-जाना कर रहे लोग, बारिश में बढ़ जाता है खतरा, जिम्मेदार मौन

Hanging bridge: लोगों की आवाजाही से पुल कभी भी और हो सकता है धराशायी, अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का है इंतजार

बलरामपुरAug 10, 2020 / 09:38 pm

rampravesh vishwakarma

चार साल से टूट कर लटके पुल से ही आना-जाना कर रहे लोग, बारिश में बढ़ जाता है खतरा, जिम्मेदार मौन

Pangan river bridge

रामानुजगंज. रामचंद्रपुर विकासखंड के ग्राम त्रिशूली के पांगन नदी में लोक निर्माण विभाग सेतु निर्माण के अंतर्गत बने पुल को टूटे चार वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो गया है। (Hanging bridge)

इसके बावजूद विभाग के अधिकारी इसे देखने तक की जहमत नहीं उठा पा रहे हैं। नदी के टूटे पुल से होकर हजारों ग्रामीण प्रतिदिन पैदल एवं मोटरसाइकिल से आना-जाना करते हैं जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है।

गौरतलब है कि 11 अगस्त 2016 से 13 अगस्त 2016 के बीच हुई बारिश के कारण पांगन नदी में बना पुल टूट गया था। पुल टूटने के बाद लटक गया था जो आज भी उसी स्थिति में है विडम्बना यह है कि पुल टूटे चार साल से अधिक हो गया परंतु अभी तक नए पुल के निर्माण की पहल नहीं की जा सकी है।
जबकि स्थानीय ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधि कई बार नए पुल के निर्माण की मांग कर चुके हैं। परंतु संबंधित विभाग अभी तक नए पुलिया के निर्माण के लिए कोई ठोस पहल करता नजर नहीं आ रहा है इस कारण हजारों लोग प्रतिदिन हलाकान हो रहे हैं। (Hanging bridge)

कभी भी घट सकती है बड़ी घटना
बरसात के समय में एक और पांगन नदी में पानी का तेज बहाव हो रहा है तो दूसरी ओर टूटे हुए पुल से प्रतिदिन हजारों लोग पैदल एवं मोटरसाइकिल से आना जाना कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी पुल धराशायी हो सकता है एवं बड़ी घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश जाने का है मुख्य रास्ता
जिस मार्ग पर पुल टूटा है वह उत्तर प्रदेश जाने का मुख्य रास्ता है। ऐसे में प्रतिदिन उत्तर प्रदेश से आने जाने वालों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी होती है पानी जब कम रहता है तब तो लोग नदी पार कर लेते हैं परंतु जब नदी में पानी अधिक होता है तो उन्हें कई किलोमीटर अतिरिक्त घूम कर जाना पड़ता है।

पुल टूटने का कारण अवैध रेत उत्खनन
एक समय पांगन नदी से अवैध रेत उत्खनन जोरों पर होता था जिससे इसका बेस धीरे धीरे कमजोर होता गया। साथ ही प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक रेत उत्तर प्रदेश इसी पुल से होकर जाती थी जिस कारण यह पुल टूट गया जो आज तक बन नहीं पाया जिसका खामियाजा प्रतिदिन हजारों लोग को उठाना पड़ रहा हैं।

8 करोड़ का प्राक्कलन भेजा गया है
सनावल पचावल मार्ग पर उच्च स्तरीय पुल एवं पहुंच मार्ग निर्माण के लिए 8 करोड़ रुपए का प्राकलन बनाकर प्रशासकीय स्वीकृति हेतु भेजा गया है। स्वीकृति के पश्चात टेंडर किया जाएगा।
रामकुमार धु्रव, एसडीओ, पीडब्ल्यूडी

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