नक्सलियों ने खेला हमास वाला विक्टिम कार्ड, जवानों के इजराइल पैटर्न हमले से घबराए
बारनवापारा में मार्च महीने में पहली बार बाघ दिखने की सूचना शिक्षक काशीराम पटेल ने 7 मार्च को वन विभाग को दी थी। उन्होंने सिरपुर रोड में बाघ को घूमते देखा था। इसका वीडियो बनाकर विभाग को भेजा भी था। इसके बाद से वन अमला लगातार बाघ को ट्रैक करते हुए उसकी सुरक्षा के इंतजामों में लगा हुआ है। वन विभाग के अनुमति बिना ग्रामीणों के जंगल जाने पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद ग्रामीणों ने दूसरी बार 8 मार्च को बाघ देखने की सूचना दी। इस पर तत्काल वन विभाग ने टीम गठित कर कार्रवाई की। इस दौरान बाघ ने अमलोर सुकुलबाय में मवेशियों का शिकार किया। 12 मार्च को बाघ के पंजे के निशान मिले। वहीं 14 मार्च को बलौदाबाजार फॉरेस्ट रेंज के बल्दाकछार परिक्षेत्र में वन कर्मचारी ने भी बाघ दिखने की पुष्टि की थी।बाघ लोगों पर हमला कर देगा या भीड़ बाघ को मार डालेगी, वन विभाग की यह इकलौती चिंता नहीं है। विभाग के लिए इससे भी बड़ी चिंता की बात हैं शिकारी, जो बाघ दिखने के बाद से ही इलाके में सक्रिय हैं। 24 मार्च को वन अमले ने ऐसे ही एक शिकारी को पकड़ा था। वह अपने साथ 5 कुत्ते लेकर शिकार पर निकला था। उसके पास से 5 गोला बम बरामद हुए थे। गनीमत कि शिकारी ट्रैप कैमरों में कैद हो गया और पकड़ा गया।
बलौदाबाजार में बाघ की सुरक्षा क्यों जरूरी है, इसके लिए गरियाबंद जिले के मैनपुर में मंगलवार को हुई एक घटना का ही उदाहरण ले लीजिए। यहां उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के बफर जोन इंदागांव (धुरवागुड़ी) में एक मादा भालू का शिकार हो गया। शिकारियों ने उसे मारने के लिए पोटाश बम का इस्तेमाल किया था। कहने का मतलब शिकारी अब इतने हाइटेक हैं कि जानवरों का शिकार करने के लिए बम का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूक रहे। बलौदाबाजार में पकड़े गए शिकारी के पास से भी 5 बम मिले थे। यानी इस इलाके में भी शिकार का यही पैटर्न है। उधर, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरूण जैन का कहना है कि भालू का शिकारियों की तलाश के लिए डॉग स्क्वॉड बुलाई गई है।