CG Weather News: वॉटर लेवल गिरा
ऐसे इलाके जहां ग्राउंड वॉटर लेवल बिलकुल पाताल में जा चुका है और सिंचाई के भी साधन नहीं है, वहां किसानों का बुरा हाल है। खेती में उन्हें बेहद तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम इसी तरह रहा तो भविष्य में निंदाई खर्च बढ़ जाएगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा। वर्तमान में ज्यादातर हिस्सों में ब्यासी की स्थिति नहीं बनी है। यह भी पढ़ें: Weather Alert: बस्तर में मूसलाधार बारिश ने मचाया तांडव, मासूमों पर गिरी मकान की दिवार… घंटों तक चला रेस्क्यू पानी के अभाव में काम रुका हुआ है। किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए देखने को विवश हैं। तेज धूप से खेतों में नमी भी कम हो चुकी है। अब खेतों को पानी की सख्त आवश्यकता है। पानी नहीं गिरने की वजह से कृषि कार्य पिछड़ चुका है।
बोनी का कार्य पूरा, बाकी पिछड़ा
क्षेत्र के ज्यादातर किसानों ने धान की बोनी कर ली है, परंतु बाकी कार्य पिछड़ चुके हैं। दलहन-तिलहन की बोनी पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। तेज गर्मी के कारण कोई भी काम नहीं हो पा रहा। कृषक रामदुलार, संतोष कुमार, दिनेश यादव ने बताया, ब्यासी का काम रुका हुआ है। पानी नहीं गिरने से खेतों की नमी समाप्त हो चुकी है। अब पानी गिरना बेहद जरूरी है। फसलें तभी बच पाएंगी। जिन किसानों के पास साधन है, वे किस रोपा कर रहे हैं। खाद की कमी नहीं है। जो किसान ब्यासी करते हैं, उन किसानों के खेतों के लिए पानी की आवश्यकता है। वे अभी पानी गिरने का इंतजार कर रहे हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल धान फसल के नुकसान की स्थिति नहीं है। यदि बारिश नहीं हुई और तेज गर्मी पड़ती रही तो आने वाले दिनों में फसल को नुकसान हो सकता है। इसे लेकर क्षेत्र के किसान काफी चिंतित हैं। बारिश अचानक बंद होने से किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। पानी की कमी से पौधे झुलसने लगे हैं।
जून माह में ठीक-ठाक बारिश होने से किसानों के चेहरे खिले थे, परंतु पिछले दिनों से बारिश के बंद होने के बाद किसानों की चिंता बढ़ गई है। वर्तमान में 31-32 डिग्री का तापमान चल रहा है। तेज धूप और गर्मी से लोगों का बुरा हाल है। उमस से लोगों के पसीने छूट रहे हैं।
किसानों को काफी नुकसान हो सकता है वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी अवधेश उपाध्याय ने बताया कि खेतों को पानी की सख्त आवश्यकता है। खेतों की नमी में कमी आई है। 5-6 दिन और पानी नहीं गिरता है तो किसानों को काफी नुकसान हो सकता है। उन्हें फिर से बुवाई करनी पड़ सकती है।