मुख्य अतिथि
मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा, आज के युवाओं को दाऊ चिंताराम टिकरिहा से प्रेरणा लेनी चाहिए। दाऊ शाकाहारी भोजन करते थे। समय की पाबंदी रखते थे। कसरत के साथ संस्कारों का भी ध्यान रखते थे। उनका शारीरिक बल बताता था कि शाकाहारी भोजन में भी उतनी ताकत होती है, जितनी मांसाहार में। चिंताराम समाज सुधारक थे। संस्कृति के रक्षक थे। उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल बनवाए।
केंद्रीय अध्यक्ष खोडस कश्यप ने कहा कि दाऊ का जीवन पाठ्य पुस्तकों में शामिल होना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी उनसे सीख ले सके। दुर्ग सांसद विजय बघेल ने भी उनके जीवन के अद्भुत शारीरिक बल और कर्म भूमि पर उनके कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, हमारे क्षेत्र के युवा उनके पद चिन्हों पर चलें, इसके लिए बुडगहन में खेल मैदान बनाने की पहल करेंगे। कार्यक्रम का मंच संचालन गोपाल वर्मा, रघुनंदन बघमार ने किया। प्रदर्शन हेमंत टिकरिहा ने किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे चिंताराम
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा, दाऊ चिंताराम टिकरिहा आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जीवन और कर्म से हमें सद्प्रेरणा मिलती है। रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू ने कहा कि दाऊ ने मानवता की सेवा के लिए कई बड़े काम किए। इस दौरान पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा, कवि मीर अली मीर आदि मौजूद रहे।