बन जाए रेलवे फाटक के पास ओवरब्रिज, तो वर्षों का सपना हो जाए पूरा
वर्तमान में शहरवासियों के लिए सबसे गम्भीर समस्या पाररास रेलवे फाटक से है यहां रोजना आधा दर्जन से अधिक बार जाम लगता है। जाम से बचने सिर्फ एक ही विकल्प है ओवरब्रिज का। लेकिन ओवर ब्रिज बनाने की मांग वर्षों से नगरवासियों व जनप्रतिनिधियो द्वारा किया जा रहा है लेकिन आज तक रेलवे व शासन ने कोई ध्यान नही दिया। पर इस बार मुख्यमंत्री के बजट से लोगों ने बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हुए है। अगर यह मांग पूरा हो गया तो शहर वाशियो के लिए सबसे बढ़ी खुशी होगी। हालांकि वर्तमान में ओव्हरब्रिज निर्माण के लिए रेलवे व राज्य सरकार द्वारा प्रयास भी तेज हो गई है। सरकार ने रेलवे से प्रस्ताव मांगा है वहीं मिट्टी सैम्पल लेने के लिए जमीन की खुदाई करने मशीन भी भेजी है। इससे लोगों को उम्मीद तो है। पर सरकार भी इसे बजट में शामिल कर देती है तो लोगों की खुशी और दुगुनी हो जाएगी।
तांदुला लिंक नहर का कार्य भी बीते कुछ वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। अभी तक भूअर्जन की कार्यवाई तक नही की गई है। गंगरेल से बालोद को जोडऩे वाली यह लिंक नहर का कार्य बहुत जरूरी है। इससे जिले के किसानों व सरकार को भी लाभ होगा। लापरवाही व शासन की अनदेखी के कारण ही यह कार्य अभी तक अधूरा है। और अब यह योजना प्रशासकीय स्वीकृति नही मिलने के कारण बजट से ही बाहर हो गया है। ऐसे में इस योजना से हजारो किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा जिसे देखते हुए पुन: इस महत्वपूर्ण योजना को बजट में शामिल कर तत्काल प्रशासकीय स्वीकृति दिलाकर आगे की कार्रवाई करने की मांग भी जिले की जनता कर रही है।
जिले के ग्राम बोरी स्थित सेमरिया नाला से यहां के ग्रामीण काफी परेशान है। और इस नाले में सेतु निर्माण करने के लिए कई बार आंदोलन व मांग कर चुके है। इस मामले में जिम्मेदार विभाग का कहना है कि हमने सेतु निर्माण के लिए सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। सरकार अगर बजट में शामिल कर दे तो साल भर के भीतर ही यहां सेतु निर्माण करा देंगे। वही क्षेत्र के विधायक भी लगातार प्रयासरत है। इस बजट में सेतु निर्माण की स्वीकृति होने की उम्मीद ग्रामीणो द्वारा लगाए हुए है। यहां तो बाढ़ आने पर यह मार्ग एक सप्ताह तक मार्ग बंद ही जाता है। वही पुलिया की जर्जर स्थिति देख यात्री बसें भी बंद हो जाती है। व स्कूल कॉलेज पढाई करने जाने वाले लोगों को बढ़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
तांदुला जलाशय को पर्यटन स्थल का दर्जा तो मिला लेकिन आज तक तांदुला में पर्यटन के क्षेत्र में विकास कराना सरकार व प्रशासन भूल गया। यह स्थिति महापशानिक स्थल करकाभाट का है। व चितवा डोंगरी का है। इन ऐतिहासिक स्थलों को सहेजने मध्यप्रदेश शासनकाल से अब छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भी किसी ने कोई प्रयास नही किया।
जिले में कृषि महाविद्यालय की भी मांग काफी वर्षो से चल रही है। पर अभी तक इसकी सौगात नही मिल पाई। पर मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए जाने वाले इस बजट से बालोद की जनता व विद्यार्थियों को कृषि महाविद्यालय मिलने की बड़ी उम्मीद है। वर्तमान में कृषि की पढ़ाई करने के लिए अन्य जिले के कृषि महाविद्यालय जिले के विद्यार्थी जा रहे है। पर जिले में यह सुविधा मिल जाए तो किसी भी प्रकार की परेशानी लोगों को नहीं होगी।
मुख्यमंत्री द्वारा अपने कार्यकाल के चौथा बजट पेश करेंगे। वही इस बजट को लेकर लोगों में उत्साह भी है। वही सत्ताधारी कांग्रेस, विपक्षीदल भाजपा व आम आदमी पार्टी के अलावा आम जनता का भी इस बजट पर निगाहें रहेगी। सभी को उम्मीद है कि राज्य के मुख्यमंत्री अपने बजट से बालोदवासियों को कई सौगात मिलेगी।