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बच्चों ने रचाया पुतरी-पुतरा का ब्याह
अक्षय तृतीया के दिन पुतरी-पुतरा का विवाह रचाने की परम्परा है। इस परम्परा के तहत जिले भर के गांव में ग्रामीणों ने पुतरी-पुतरा का विवाह रचाया। वहीं इस दिन शादी की पूरी रस्म निभाई जैसे तेलमाटी, चूलमाटी, हल्दी, मेहंदी, मायन, बारात आदि। इस दौरान बच्चों में काफ़ी उत्साह देखा गया। वहीं धरमटिका के साथ लोगों को सामूहिक भोज भी कराया गया।
बाल विवाह नहीं करने का दिया संदेश
कुछ गांव जैसे भोइनापार, लोंडी, पोंडी में पुतरी-पुतरा का विवाह रचाया गया। इस दौरान बच्चों ने बकायादा लोगों को बाल विवाह न करने व बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में भी बताया। इन बच्चों की इस पहल की लोगों ने तारीफ भी की।
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जिले भर में हुईं सैकड़ों शादियां
अक्षय तृतीया पर शादी करना शुभ माना जाता है। इसलिए जिले भर में अक्षय तृतीया पर खूब शादियां हुईं। जबकि इस साल अक्षय तृतीया पर शादी का कोई लगन नहीं है पर मान्यता यह भी हैं कि अक्षय तृतीया पर लगन भी नहीं है तो इस दिन को शुभ माना जाता है।
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शुभ कार्यों की हुई शुरुआत
अक्षय तृतीया पर्व से अब शुभ कार्यों की भी शुरुआत हो जाती है। वहीं इस पर्व को लोगों ने अपने कामकाज को बंद कर उत्साह व आस्था के साथ मनाया।