जानकारी के अनुसार हाथी सिंह ने 2015 में भी प्रधानी चुनाव लड़ा था। उस दौरान उन्हें केवल 57 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद वह फिर से तैयारी में जुट गए और इस वर्ष दोबारा चुनाव लड़कर जीतने की उम्मीद लगाए बैठे थे। हालांकि उनके गांव की सीट महिलाओं के लिए आरक्षित घोषित हो गई। जिसके चलते उनके निर्वाचित होने की उम्मीद भी टूट गई। लेकिन, इसका तोड़ निकालने के लिए उनके समर्थकों ने सुझाव उन्हें शादी कर अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने का सुझाव दिया। 13 अप्रैल को नामांकन से पहले हाथी सिंह ने इस सुझाव पर अमल करते हुए शादी करने की ठानी और बिना मुहूर्त बिहार की अदालत में जाकर कोर्ट मैरिज कर ली। इसके बाद अपने गांव आकर मंदिर में 26 मार्च को शादी कर ली।
उन्होंने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से प्रधानी का चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मैंने जीवन में कभी शादी नहीं करने का फैसला किया था, लेकिन मेरे समर्थकों के कारण मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा। मेरी मां की उम्र 80 वर्ष है, जिसके चलते वह चुनाव नहीं लड़ सकती थीं, इसलिए शादी करने का फैसला लिया। जिससे मैंने शादी की है वह अभी स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही है और ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने को तैयार है। आगे का निर्णय तो गांव के लोगों के हाथ में है।