बालाघाट

जन सहयोग और समाजवाद की मिशाल बन रही गरीब की झोपड़ी

पीएम आवास का नहीं मिला लाभ तो जनसहयोग से बन रहा आवास
किसी ने दी सामग्री किसी ने आवास निर्माण में की मदद
किरनापुर जनपद के ग्राम सारद पटेल टोला का मामला
ग्रामीण पेश कर रहे इंसानियत की मिशाल
आवास योजना के जिम्मेदारो को शर्मिंदा करने वाली खबर

बालाघाटJan 22, 2025 / 09:12 pm

mukesh yadav

पीएम आवास का नहीं मिला लाभ तो जनसहयोग से बन रहा आवास
किसी ने दी सामग्री किसी ने आवास निर्माण में की मदद
किरनापुर जनपद के ग्राम सारद पटेल टोला का मामला
ग्रामीण पेश कर रहे इंसानियत की मिशाल
आवास योजना के जिम्मेदारो को शर्मिंदा करने वाली खबर

बालाघाट. जिले के किरनापुर जनपद की ग्राम पंचायत सारद के पटेल टोला निवासी अनिल करंडे आवास योजना में हर तरह से पात्रता रखता है। अनिल विगत चार वर्षो से प्रधानमंत्री आवास के लिए गुहार लगा रहा है। पिछले माह कलेक्टर जनसुनवाई में अनिल ने आवेदन देकर गुहार लगाई। जब बात नहीं बनी तो ग्रामीणों से मिली हिम्मत और जनसहयोग से सिर छिपाने झोपड़ी का निर्माण कर रहा है। पत्रिका टीम किरनापुर जनपद क्षेत्र के ग्राम सारद के पटेल टोला पहुंची। यहां पंचायत कार्यालय के पास ही अनिल करंडे अपनी पत्नी गीता और अन्य ग्रामीणों की मदद से अपने सपनो के आशियाने को अंतिम रूप में ईंट, मिट्टी के गारे से दीवार पर पुताई करते दिखाई दिया।
बारिश में ढह गया था मकान
अनिल करंडे ने बताया कि वह गांव में ही 160 रूपए दिन के हिसाब से मजदूरी करता है। पिछले दिनों अधिक बारिश होने पर उसके कच्चे मकान की दीवार एक ओर से ढह गई थी। इस हादसे में दोनों पति- पत्नी बाल-बाल बचे थे। सरपंच ने पंचायत भवन में रहने की मंजूरी दी। तब से वह वहां किसी तरह से गुजर बसर रहा है।
20 दिन से बनाई झोपड़ी
अनिल और उसके सहयोगी ग्रामीणों ने बताया कि जिम्मेदारों की उपेक्षा के चलते 20 दिन में उसने अपनी झोपड़ी खड़े की है। गांव के लोगो ने टीन शेड, बॉस बल्ली, दरवाजे के साथ ही आर्थिक मदद भी की है। झोपड़ी बनाने में भी पड़ोसी गणेशजी रोकड़े ने उसके साथ मेहनत कर श्रमदान कर रहे हैं। अब उसकी झोपड़ी अंतिम रूप में पहुंच गई है। शीघ्र ही वह इस झोपड़ी में निवास करना शुरू करने वाला है।
इनका कहना है।
अनिल का मकान गिरने पर जब वह मेरे पास आया तो उसकी स्थिति देखकर मै उसे मना नहीं कर सका। मैने ही उसकी झोपड़ी को आकार दिया है। वह मुझे मजदूरी दे न दे। उसका मकान बनाकर संतुष्ट हॅू।
गणेश जी रोकड़े, सहयोगी ग्रामीण
गांव में रहने के नाते अनिल से भाई का रिस्ता है। दया धर्म भी कोई चीज होती है। थोड़ा बहुत जो काम बचा है उसमें हाथ बटाएंगे। मकान की रोटी के लिए भी मै चांवल राशन देने तैयार हॅू।
कांता प्रसाद राहंगडाले, सहयोगी ग्रामीण
मुसीबत के समय ही अच्छे लोगों की पहचान होती है। मुझे गांव के लोगों ने सहयोग किया। किसी ने ईंट, खिडक़ी चौखड़ व शेड दिया। किसी ने मकान बनाने में श्रमदान किया। अब मेरा मकान बन गया। यह सब ग्रामीणों की मदद से संभव हो सका है।
अनिल करंडे, पीडि़त
आवास योजना की मेन सूची में अनिल का नमा नहीं था। हम चाहकर भी उसे आवास का लाभ नहीं दे पा रहे हैं। हालाकि मार्च में सर्वे सूची शुरू होगी तो उसका नाम पहली प्राथमिकता में रखा जाएगा।
डोमाजी पांचे, सचिव ग्रापं सारद

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