पुरातत्व प्रेमियों के 6 साल पहले से किए जा रहे प्रयास आज सफल हो गया है। बता दें कि बालाघाट जिले में नैरोगेज ट्रेन का काफी पुराना इतिहास रहा है। गोंदिया, बालाघाट से जबलपुर के लिए जिलेवासी इसी ट्रेन में सवार होकर यात्रा किया करते थे। कम स्पीड में चलने के कारण इस नेरोगेज ट्रेन को जिलेवासी छुक-छुक ट्रेन के नाम से जाना करते थे।
यह भी पढ़ें- कोचिंग सेंटर के बाहर आपस में भिड़ गए पैरेंट्स, मारपीट का वीडियो जमकर वायरल
बालाघाट पहुंचा छुक-छुक इंजन, वीडियो
इस संबंध में बालाघाट कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने पुरातत्व प्रेमियों और जिलेवासियों की उपस्थिति में पूजा अर्चना कर इतिहास पुरातत्व शोध संस्थान के समीप पहले से प्लेटफार्म पर स्थापित किया। फिर पुरानी त्नीक के अनुरूप ही यहां खड़ी बोगी से इंजन को जोड़ दिया गया है।