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बालाघाट

Patrika Discussion-निजी बसों में होती है मनमानी, हर हाल में शुरु हो सरकारी बसें

निजी यात्री बसों में मनमानी होती है। किराया अधिक वसूला जाता है। यात्रियों की सहुलियतों का ध्यान नहीं रखा जाता है। जबकि सरकारी बसों में न केवल किराया कम होता है। बल्कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं भी मिल जाती है। कम किराए में अधिक दूरी तय कर लेते हैं। बालाघाट. निजी यात्री बसों में मनमानी […]

बालाघाटJul 26, 2024 / 10:04 pm

Bhaneshwar sakure

परिचर्चा

परिचर्चा में शामिल लोग।

निजी यात्री बसों में मनमानी होती है। किराया अधिक वसूला जाता है। यात्रियों की सहुलियतों का ध्यान नहीं रखा जाता है। जबकि सरकारी बसों में न केवल किराया कम होता है। बल्कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं भी मिल जाती है। कम किराए में अधिक दूरी तय कर लेते हैं।
बालाघाट. निजी यात्री बसों में मनमानी होती है। किराया अधिक वसूला जाता है। यात्रियों की सहुलियतों का ध्यान नहीं रखा जाता है। जबकि सरकारी बसों में न केवल किराया कम होता है। बल्कि यात्रियों को अच्छी सुविधाएं भी मिल जाती है। कम किराए में अधिक दूरी तय कर लेते हैं। सरकारी बसों से समय पर अपने गंतव्य स्थल तक पहुंच जाते हैं। जनता के हित में प्रदेश सरकार को राज्य परिवहन निगम की बसों को हर हाल में शुरु करना चाहिए। प्रदेश सरकार से यह आव्हान गुरुवार को पत्रिका की परिचर्चा में अलग-अलग संस्थाओं के पदाधिकारियों ने किया है। उन्होंने पत्रिका के इस अभियान की सराहना भी की।
गुरुवार को पत्रिका ने एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस परिचर्चा में योग आयोग समिति, पंथ संस्था, रोटरी क्लब ऑफ बालाघाट टाइगर सहित अन्य संस्था के पदाधिकारी शामिल हुए। परिचर्चा में शामिल हुए लोगों ने कहा कि पहले राज्य परिवहन निगम की बसें संचालित होती थी। जिससे लोग कम किराए में अधिक दूरी तय कर लेते थे। सरकारी बसों में आसानी से बैठने के लिए सीट मिल जाती थी। महिलाओं के लिए सीटें रिजर्व होती थी। लेकिन जब से सरकारी बसों का संचालन बंद हुआ है, तब से निजी बस संचालकों की मनमानी शुरु हो गई है। निजी बस संचालक एक ओर अधिक किराया वसूल रहे हैं। वहीं बसों में क्षमता से अधिक सवारियां ले जाते हैं। जिसके कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर महिलाएं, स्कूली छात्राएं, बुजुर्ग लोग ज्यादा परेशान होते हैं। प्रायवेट बसों में इनके लिए कोई रिजर्व सीट नहीं होती है। निजी यात्री बसों को कहीं भी खड़ा कर दिया जाता है। समय का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। इस तरह से निजी यात्री बसों के संचालन में मनमानी की जा रही है। प्रदेश सरकार से आव्हान है कि निजी यात्री बसों के मनमानी पर रोक लगाने और जनता को कम दरों की यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए सरकारी बसों का संचालन फिर से करें।
इनका कहना है
प्रदेश सरकार को सरकारी बसों के संचालन के लिए फिर से विचार करना चाहिए। ताकि जनता को परिवहन सेवाओं का लाभ मिल सकें। जनहित में पत्रिका ने पूरे प्रदेश में जो अभियान चलाया है, यह सराहनीय है।
-तपेश असाटी, जिला योग आयोग समिति अध्यक्ष
सरकारी बसों के शुरु होने से निजी बस संचालकों की मनमानी पर रोक लगेगी। यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलना प्रारंभ हो जाएगी। स्कूली विद्यार्थी, ग्रामीण, दूर-दराज के लोग कम किराए में अपना सफर आसानी से पूरा कर लेेंगे।
-आशीष मिश्रा, रोटरी क्लब पदाधिकारी
निजी बसों में महिलाओं के लिए रिजर्व सीट नहीं होती है। सफर के दौरान महिलाएं काफी परेशान होती है। सरकारी बसों में महिला वर्ग को विशेष सुविधाएं दी जाती है। जनहित में सरकार को सरकारी बसों का संचालन करना चाहिए।
-नेहा जसेठिया, पंख संस्था पदाधिकारी
निजी बसों में जहां अधिक किराया वसूला जाता है। वहीं क्षमता से अधिक सवारियां बैठाली जाती है। जिससे यात्रियों को परेशानी होती है। सरकारी बसों में ऐसा नहीं होता है। सरकारी बसें शुरु होने पर लोगों को परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा।
-पूनम बर्वे, पंख संस्था पदाधिकारी
सरकारी बसों के संचालन का समय निर्धारित होता है। सरकारी बसें नियत समय में अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच जाती है। लेकिन प्रायवेट बसों में ऐसा नहीं होता है। सरकार को सरकारी बसों के संचालन पर विचार करना चाहिए।
-पूजा अग्रवाल, पंख संस्था पदाधिकारी

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