डॉ पांडे के अनुसार सिकल सेल रोग एक वंशानुगत रक्त विकार है। जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य हो जाती हैं और जल्दी मर जाती है। सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं सख्त और चिपचिपी हो जाती हैं और अक्षर सी के आकार की बन जाती है। ये कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में आसानी से नहीं जा पातीं और छोटी रक्त वाहिकाओं में फंस जाती है। इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है या बंद हो जाता है। सिकल सेल रोग से पीडि़त लोगों में एनीमिया हो सकता है। एनीमिया तब होता है, जब शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती।
:- अचानक तीव्र और बिना किसी चेतावनी के दर्द।
:- हड्डियों में दर्द ।
:- आंखों में नुकसान।
:- पैर में सूजन व दर्द।
:- लकवा (पैरालायसिस)
:- संक्रमण का खतरा। सिकल सेल रोग के कारण
:- माता-पिता से एचबीबी जीन विरासत में मिलता है।
:- माता-पिता दोनों पॉजीटिव तो बच्चे में यह रोग होने के 60 प्रतिशत संभावना।
:- अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ एक माता-पिता से सिकल सेल जीन मिलता है, तो वह सिकल सेल लक्षणों का अनुभव नहीं करता। हालांकि, वह अपने बच्चों को यह जीन दे सकता है।
:- सिकल सेल रोग जिले के आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र से अधिक सामने आ रहा है।
:- सऊदी अरब भारतीय, हिस्पैनिक और भूमध्य सागरीय मूल के परिवारों में भी यह रोग हो सकता है।
डॉ मनोज पांडे ने बताया कि जिले में सिकलसेल के रोगी सार्वाधिक आदिवासी बाहूल्य वन क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं। इनमें जिले के बैहर, बिरसा और परसवाड़ा तहसील क्षेत्र के अलावा लामता और लांजी क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों से सिकलसेल रोगी सामने आ रहे हैं।
डॉ पांडे के अनुसार सिकल सेल रोग और सिकल सेल लक्षण आमतौर पर जन्म के समय नियमित नवजात स्क्रीनिंग परीक्षणों के दौरान रक्त परीक्षण से पता चलता है। एक दूसरा रक्त परीक्षण जिसे हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस कहा जाता है, निदान की पुष्टि करता है। सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त लोगों में लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचन्द्राकार के आकार की हो जाती हैं। समय पर जांच करने से इस बीमारी का पता किया जा सकता है।
शराब, धूम्रपान या अन्य नशायुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। कोई भी परेशानी हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। सिकल सेल मरीज को संपूर्ण संतुलित खुराक, भोजन लेना चाहिए। शरीर में जो विटामिनों की कमी हो वह सब उसे मिल सके। सिकल सेल डिजीज से निपटने के लिए प्रोटीन और मैक्रोन्यूट्रिएंट से भरपूर आहार लेना बहुत जरूरी होता है। शरीर में इनकी कमी मरीज में कुपोषण का कारण बन सकती है। इसलिए अपनी डाइट में प्रोटीन से भरपूर आहार जैसे मछली, पोल्ट्री, दाल, बीन्स, अंडे शामिल कर सकते हैं।
सीएमएचओ डॉ पांडे के अनुसार सिकलसेल रोग एक आजीवन बीमारी है। हालांकि इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन स्टेम सेल प्रत्यारोपण हमेशा उपलब्ध नहीं होते और कई जोखिम लेकर आते हैं। हालांकि, जल्दी निदान और उपचार आपके लक्षणों और जटिलताओं की संभावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है। निरंतर देखभाल के साथ, आप एक पूर्ण सक्रिय जीवन जिया जा सकता है।
वर्सन
कुंडल से पहले रिपोर्ट करें मिलान-
डॉ मनोज पांडे, सीएमएचओ