इलाके में था दबदबा पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी का बागपत जिले में ही नहीं बल्कि मेरठ में भी बोलबाला रहा है। सतेन्द्र सोलंकी का परिवार राजनीतिक परिवार बन गया था। अपने आसपास के चुनावों में या तो वह मैदान में उतरते थे या किसी अपने खास परिचित को वह मैदान में उतारकर चुनाव लड़ाते थे। इंद्रपाल हत्याकांड के बाद से उनसे कोई सीधे टकराव लेने को तैयार नहीं था। वह हर चुनाव में किसी न किसी तरह हस्तक्षेप रखते थे। सतेन्द्र सोलंकी किसी एक राजनीति पार्टी में लंबे समय तक स्थिर नहीं रहे। रालोद से एक बार विधायक बनकर वह आगे भी विधायक बनने की चाह में सपा, बसपा व भाजपा तक का सफर कर चुके हैं। सफलता उन्हें कहीं नहीं मिल पाई थी।
यह था मामला कोर्ट ने पूर्व विधायक को 29 अप्रैल को दोषी ठहरा दिया था। 1997 में मेरठ के थाना सिविल लाइन में सतेंद्र और हरेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से इस केस की सुनवाई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में चल रही थी। बता दें कि इंद्र पाल अपने साथी अशोक के साथ किसी काम के सिलसिले में 24 जून 1997 को मेरठ विश्वविद्यालय जा रहे थे। इस दौरान हरेंद्र और सतेंद्र सोलंकी ने गोलियां बरसाकर इंद्रपाल ढाका की हत्या कर दी थी। मंगलवार को पटियाला हाउस ने अपना फैसला सुनाते हुए दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
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