बता दें कि 2 मई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़तोड़ की राजनीति शुरू हो गयी थी। यहां जिला पंचायत सदस्य की 84 सीटों में सर्वाधिक 25 सीट सपा के खाते में गयी है। इसके बाद 14 सीट जीतकर बसपा दूसरे नंबर पर है। बीजेपी को मात्र 11 सीटे मिली है। इसके अलावा एआईएमआईएम को 01, कांग्रेस को 01, उलेमा कौंसिल को 01, अपना दल को 01, आम आदमी पार्टी को 01, सुभासपा को 01 सीट मिली है। 27 सीटों पर निर्दल के खाते में गयी है।
मात्र 11 सीट पर सिमटने के कारण बीजेपी का दावा सबसे कमजोर और सपा का दावा सबसे मजूूबत माना रहा रहा था। खासतौर पर बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव द्वारा अपने पुत्र विजय यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए बाहुबली रमाकांत यादव को साथ लेकर मैदान में उतरने के बाद यह दावा और भी मजबूत हो गया था लेकिन बीजेपी ने अंदरखाने से खुद को मजबूत कर सपा के बराबर खड़ा कर लिया है। अब पार्टी के पास 24 सदस्यों का समर्थन है। पार्टी ने मुंबई के बड़े कारोबारियों में शुमार कन्हैंया निषाद के पुत्र संजय निषाद को प्रत्याशी बनाया है।
यदि देखा जाया तो वर्तमान में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के लिए बीजेपी को मात्र 19 और सपा को 18 और सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। दोनों ही दल निर्दलियों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। बीजेपी धनबल के बल पर सदस्यों का समर्थन हासिल कर अध्यक्ष की कुर्सी पर पहली बार जीत का सपना देख रही है। वहीं सपा के पास जिला पंचायत पर राज का पुराना अनुभव है। बाहुबली के पुत्र के मैदान में आने से तमाम सदस्य ऐसे है जो खुलकर विरोध की हिम्मत नहीं जुटा पाएंगे। ऐसे में यहां लड़ाई काफी दिलचस्प होती दिख रही है। यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।
BY Ran vijay singh