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फीस के पैसे नहीं, कोविड ने पिता छीना, NEET के ऐन पहले बहन की डेथ, लेकिन पूजा नहीं टूटी

आजमगढ़ में गरीब की बेटी पूजा सोनकर ने हर संकट का डटकर सामना किया। अब पूजा का सपना साकार होगा। वह डॉक्टर बनेगी।

आजमगढ़Dec 20, 2022 / 03:08 pm

Ranvijay Singh

नीट परीक्षा पास करने वाली छात्रा पूजा सोनकर

नीट परीक्षा पास करने वाली छात्रा पूजा सोनकर

फीस के पैसे नहीं थे, कोविड ने पिता छीन लिया। मां ठेले पर फल बेच बामुश्किल दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाती है। दो बार नीट परीक्षा पास की लेकिन सरकारी कॉलेज नहीं मिला। इस बार परीक्षा से पहले बड़ी बहन की मौत हो गई। उसके चार बच्चों की जिम्मेदारी भी सिर पर आ गई। कोचिंग छूट गई। फिर भी हौसला नहीं टूटा।


गरीब की बेटी पूजा सोनकर ने हर संकट का डटकर सामना किया। अब पूजा का सपना साकार होगा। वह डॉक्टर बनेगी। आइए जानते हैं इस गरीब बच्ची पूजा के संघर्ष की कहानी जो आज हर विद्यार्थी के लिए प्रेरणा का श्रोत बन चुकी है।



कौन है पूजा सोनकर?
21 साल की पूजा सोनकर आजमगढ़ शहर के मुकेरीगंज मोहल्ले की रहने वाली है। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। घर की आर्थिक स्थित काफी खराब है। पूजा का लक्ष्य अपने परिवार को आर्थिक संकट से उबारना है। वह समाज के लिए भी कुछ बेहतर करना चाहती हैं।

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दिव्यांग पिता का कोविड काल में हो गया निधन
पूजा के पिता हरिलाल दिव्यांग थे। वह काम करने में पूरी तरह अक्षम थे। परिवार की जिम्मेदारी हमेशा से ही पूजा की मां दाना देवी के कंधे पर रही है। हरिलाल अक्सर बीमार रहते थे। कोविड संक्रमण के कारण 29 मई 2020 को उनका निधन हो गया।


ठेले पर फल बेंचकर धाना देवी ने पूजा को पढ़ाया
पूजा की मां धाना देवी परिवार चलाने के लिए हर्रा की चुंगी पर फल का ठेला लगाती हैं। बड़ा बेटा मुसाफिर दुकान चलाने में मां की मदद करता है। छोटा बेट राजेश परिवार की मदद के लिए आटो चलाने लगा है। घर का खर्च राजेश ने संभाल लिया है। धाना देवी अन्य जरूरतों को पूरा कर रही है। फल की दुकान से ही उन्होंने पूजा को पढ़ाया। अपनी दो अन्य बेटियों सबिता और सरोज की शादी की।

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IMAGE CREDIT: patrika

मां से प्रेरणा लेकर पूजा ने बड़ा करने का लिया संकल्प
पूजा बताती हैं कि जब वे छोटी थी तभी से मां के संघर्ष को देखती आई है। परिवार को रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। अब भाइयों ने जिम्मेदारी संभाली तो जीवन बदला तो नहीं लेकिन थोड़ा आसान जरूर हो गया। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा ली। फैसला किया कि कुछ ऐसा करेगी, जिससे परिवार की गरीबी दूर हो जाए। साथ ही समाज के लिए भी कुछ कर पाए। फिर उसने डॉक्टर बनने का फैसला किया।


पैसा नहीं था कि बाहर जाकर करती तैयारी
पूजा कहती है कि वह भी चाहती थी कि अन्य बच्चों की तरह बाहर जाकर तैयारी करे। उसके पास पैसा नहीं था। मां भी मजबूर थी लेकिन मुझे किसी भी कीमत पर आगे बढ़ना था। भाग्य अच्छा था कि 2020 में आजमगढ़ में ही नीट की कोचिंग शुरू हो गई। मां ने एडमिशन करा दिया।


दो बार नहीं मिला सरकारी कॉलेज
पूजा ने वर्ष 2020 में पहले की प्रयास में नीट परीक्षा पास कर ली। उसे 316 नंबर मिले। नबंर कम होने के कारण सरकारी कॉलेज नहीं मिला। उसने वर्ष 2021 में दोबारा परीक्षा पास की। इस बार भी 365 नंबर होने के कारण प्राइवेट कॉलेज एलाट हुआ। पैसा न होने के कारण एडमिशन नहीं लिया।

धाना देवी बोली ऐसा लगता था पूरा नहीं होगा सपना
पूजा की मां धाना देवी बताती हैं कि बेटी की मेहनत देख उनका भी हौसला बढ़ता था। जब उसे दो बार सरकारी स्कूल नहीं मिला तो मैं टूट गई। पूजा भी निराश थी। उसे लगता था शायद वह ठीक दिशा में प्रयास ही नहीं कर पा रही है। मैं भी सोचती थी कि न पैसा होगा और न ही बेटी को डॉक्टर बना पाऊंगी। पूजा हार मामने वालों में से नहीं थी। उसका प्रयास तीसरी बार में रंग लाया। मैं बहुत खुश हूं। अपनी खुशी बयां नहीं कर सकती। क्योंकि पहली बार सपना सच होते देखा है।


तीसरे प्रयास में पूजा को मिला सरकारी कॉलेज
पूजा ने वर्ष 2022 में नीट परीक्षा लगतार तीसरी बार पास की। इस बार उसे 463 नंबर मिला है। उसकी ऑल इंडिया रैंक 114229 है। अब उन्हें प्रफुल्ला चंद्रा सेन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज वेस्ट बंगाल एलाट हुआ । पूजा सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलने से काफी खुश है।

नीट परीक्षा पास करने वाली छात्रा पूजा सोनकर
IMAGE CREDIT: patrika

और बेहतर होता नंबर अगर नहीं छूटती कोचिंग
पूजा ने बताया कि उनकी तैयारी की अच्छी चल रही थी। परीक्षा से तीन महीने पहले 22 मई 2022 को प्रसव के दौरान उनकी बहन सरोज की मौत हो गई। उनके चार बच्चों की जिम्मेदारी उस पर आ गई। मां दुकान पर चली जाती थी। इसलिए भोजन भी उसे ही बनाना पड़ता था। बच्चों को संभालने के लिए उसनेे कोचिंग छोड़ दी। पुस्तकालय ज्वाइंन किया। भोजन बनाते समय सामने किताब रखकर तैयारी करती थी।

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कोचिंग वालों ने की काफी मदद
पूजा के मुताबिक दो साल कोचिंग के दौरान उन्होंने फीस जमा की। तीसरे साल कोचिंग सेंटर संचालक उनके लिए आगे आए। उन्होंने पूरे साल बिना फीस के कोचिंग दी। चुंकि मैं नीट परीक्षा पास करने वाली यहां की पहली स्टूडेंट थी इसलिए उन्होंने मुझे आगे बढ़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इससे मेरे आत्मबल में वृद्धि हुई। आज परिणाम सामने है।

 

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पूजा बोली, हार नहीं मानें संघर्ष करें
पूजा कहती है अपने जीवन में उन्हें यह सीख मिली है कि संघर्ष जरूरी है। जीवन में दुश्वारियां आए तो डरना नहीं चाहिए। संघर्ष करेंगे तो समस्या को खुद-बखुद समाधान होगा। खासतौर पर छात्र लक्ष्य तय करें। उसे हासिल करने के लिए मेहनत करें।

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