मूल रूप से दीदारगंज थाना क्षेत्र के आमगांव निवासी ठाकुर मनोज सिंह हमेशा विवादों में घिरे रहे है। वर्ष 2010 में वे जनता दल का प्रदेश महासचिव बनकर आजमगढ पहुंचे मनोज पर रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों की ठगी का आरोप लगा। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव यूपी की सत्ता में आये तो मनोज ने खुद को सपा का नेता बताना शुरू किया।
इसी बीच आजमगढ़ के दीदारगंज थाने में कानपुर के एक व्यक्ति ने मेडिकल में एडमीशन के नाम पर लाखों की ठगी करने का आरोप लगाते हुए मामला पंजीकृत कराया। इसी दौरान ब्लाक प्रमुख सौरभ सिंह के निधन से खाली हुई मार्टीनगंज ब्लॉक प्रमुख सीट पर 13 अगस्त को उपचुनाव हुआ। उप चुनाव में मनोज ने भाजपा के बाहुबली रमाकांत यादव का साथ हासिल किया और ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी हासिल कर ली।
मनोज के खिलाफ फ्रॉड का मामला वाराणसी में दर्ज है। मनोज शपथ लेते इससे पहले ही उनके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। जिसके कारण पुलिस ने गिरफ्तारी का प्रयास किया तो मनोज शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे। दूसरी बार भी पुलिस के कारण उनका शपथ ग्रहण नहीं हुआ तो मनोज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। यहां से उन्हें सात दिन तक गिरफ्तार न करने का आदेश भी मिल गया। इस बार नोडल अधिकारी ही शपथ ग्रहण में नहीं पहुंचे।
प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए मनोज ने डीएम पर माफिया से समझौता करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया।