लगभग दो लाख की आबादी वाले शहर में 25 वार्ड हैं। इन वार्डो में लगभग 20 हजार मकान हैं। इन मकानों में नगर पालिका प्रशासन द्वारा लगभग 11 हजार से 12 हजार मकानों में प्रतिदिन 11.50 एमएलडी (मिलियन लीटर) पानी की आपूर्ति पाइप लाइन के माध्यम से की जाती है। इसके अलावा लगभग आठ से नौ हजार मकानों में रहने वाले लोग इंडिया मार्का हैंडपंप या फिर समरर्सिबल के माध्यम से लगभग आठ एमएलडी पानी की खपत करते हैं। प्रतिदिन इन घरों से औसतन 60 फीसद (15 एमएलडी) गंदा पानी निकलता है। बारिश का पानी अलग से। बावजूद इसके जलनिकासी की समुचित व्यवस्था न होने से जलभराव की स्थिति बनी रहती है। वर्षों पुरानी सीवर लाइन भी आधे शहर में बनी है लेकिन मानक के अनुसार नहीं। कुछ मोहल्लों का पानी तो आठ-नौ नालों के माध्यम से तमसा नदी में चला जाता है लेकिन आधे शहर में वह भी व्यवस्था नहीं है।
शहर में छोटे-बड़े 35 नाले-नालियां शहर में नौ बड़े नालों सहित लगभग 35 छोटे-बड़े नाले हैं जिनके माध्यम से लोगों के घरों का पानी तमसा नदी या फिर अगल-बगल के ताल-पोखरों में जाता है। नाले-नालियां जाम हैं। अधिक आबादी वाले क्षेत्र में जहां भी पुलिया है वहां के बड़े नाले चोक कर गए हैं। शहर के कई हिस्सों में तो नालियां टूट चुकी हैं जिसके मरम्मत का कार्य कच्छप गति से चल रहा है। जलभराव का यह भी एक प्रमुख कारण है, जबकि 15 जून से ही नाले व नालियों की सफाई का निर्देश दिया गया था। छत्तीसगढ़ के मजदूरों ने संभाली सफाई की कमान वर्षों से जाम हो चुके नालों व नालियों की सफाई के लिए पिछले एक पखवारा पहले छत्तीसगढ़ से मजदूर बुलाए गए।
ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से बेलइसा पेट्रोल पंप के पास आधा किमी, दुर्गा टॉकीज से आधा किमी, ठंडी सड़क से आगे 300 मीटर, बदरका ईदगाह से आगे आधा किमी, नवजीवन अस्पताल से टेढ़िया मस्जिद से आगे 300 मीटर, डीएवी कॉलेज से बांध तक 300 मीटर, गोयल कटरा से आगे 300 मीटर तक सफाई का कार्य कराया गया। लाखों रूपये खर्च हो गये लेकिन हालात जस के तस है।
By Ran Vijay Singh