बता दें कि निजामाबाद विधानसभा सपा का गढ़ बन चुकी है। यहां से सपा के आलमबदी लगातार तीसरी बार विधायक हैं। वर्ष 2022 के चुनाव में भी उनका लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं बीजेपी से विनोद राय, पियूष यादव आदि लोग टिकट की दावेदारी कर रहे है। बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले है लेकिन इस पार्टी से भी आधा दर्जन दावेदार है। यहां कड़े मुकाबले के आसार जताये जा रहे हैं।
वहीं कांग्रेस से भी 10 स्थानीय नेताओं ने दावेदारी की थी लेकिन सभी की दावेदारी को दरकिनार कर अनिल यादव को प्रत्याशी बना दिया है। प्रत्याशी की घोषणा के बाद से ही कांग्रेस में घमासान मची हुई है। कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष रामगणेश प्रजापति, पूर्णमासी प्रजापति, मदन लाल यादव, डा. राजेश्वरी पांडेय, मोहम्मद फैयाज कुरैशी, दामोदर सिंह आदि ने प्रत्याशी का खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। इनका कहना है कि शीर्ष नेतृत्व ने एक बाहरी और अनुभवहीन को मैदान में उतार कर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।
यहां पूरा संगठन चाहता है कि किसी सक्रिय और प्रभावशाली नेता को टिकट दिया जाए। यह फैसला पूरी तरह से पार्टी की छबि खराब करने वाला है। कारण कि पार्टी ने जिसे प्रत्याशी बनाया है वह न तो क्षेत्र का है और ना ही उसका कोई जनाधार है। यह मामला कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक पहुंचाया जाएगा। अन्य पार्टियों के नेता पुराने कार्यकर्ताओं को चुनाव के मैदान में उतार रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने सबसे पुरानी पार्टी होने के बाद भी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर जिस व्यक्ति की कोई पहचान नहीं है उसको चुनाव मैदान में उतारा है।