आजमगढ़. जिले के पहलवान ने यूपी में यूपी केसरी का झंडा बुलंद किया है। इस पहलवान ने 74 किलोग्राम वजन में विजय का पताका लहराया और जनपद का नाम रोशन किया। इस पहलवान को यूपी केसरी बनने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में बीते 4 दिसम्बर को सम्मानित किया तो गृह जनपद आजमगढ़ पहुंचने के बाद गुरुवार को पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने भी सम्मानित किया। रमाशंकर का सपना अन्र्तराष्ट्रीय कुश्ती में भारतीय टीम से खेलने का है। इसी सपने को लेकर वह आज भी अपना रियाज जारी रखें हैं।
बता दें कि जिले के जहानागंज ब्लाक के धरवारा गांव के मूल निवासी रमाशंकर यादव का नाम एक मामूली किसान परिवार से जुड़ा हुआ है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। इसके बाद इन्होने जूनियर हाईस्कूल की पढ़ाई जहानागंज में ही की। फिर ये शहर के सिधारी हाइडिल चैराहे के पास किराये के मकान में अपने परिवार के साथ रहने लगे। इनके पिता देवनन्दन यादव का सपना था कि उनका बेटा उच्च कोटि का पहलवान बने। इसी सपने को लेकर उन्होने अपने बेटे को शहर के रेलवे स्टेशन स्थित बौरहवा बाबा के अखाड़े पर भेजना शुरू किया और यही से सिलसिला शुरू हुआ रमाशंकर यादव के पहलवान बनने का।
वर्ष 1997 से 2002 तक बौरहवा बाबा अखाड़े पर इन्होने अपना पहलवानी का रियाज जारी रखा। परिणाम स्वरूप वर्ष 2003 में कप्तानगंज के लछेहरा गांव में आयोजित जिला स्तरीय कुश्ती में प्रथम स्थान मिला। साथ ही इन्हें आजमगढ़ कुमार का खिताब भी मिला। इसी वर्ष नेशनल केरल कोचिंग में गये जहां चैथा स्थान प्राप्त किये और वर्ष 2004-05 में नेशनल स्कूल में तीसरा स्थान पाकर मेरठ स्पोर्टस स्टेडियम में चयनित हो गये। मेरठ के ही बरछोती इण्टर कालेज से हाईस्कूल और इण्टरमीडियट की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 2007 में पंजाब राज्य में सम्पन्न हुई सब जूनियर प्रतियोगिता में रमाशंकर को गोल्ड मेडल मिला। वर्ष 2009 में हरियाणा राज्य के रोहतक में आल इण्डिया यूनिर्वसिटी में खेलने का मौका मिला।
इसी वर्ष उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के सिकंदरपुर में अन्र्तराष्ट्रीय दंगल प्रतियोगिता में रमाशंकर यादव ने 78 किलो वर्ग भार में पाकिस्तान के पहलवान को शिकस्त दी। अपनी इसी प्रतिभा के बल पर वर्ष 2010 में 2 जुलाई को रेलवे में टेक्नीशियन पद पर भर्ती हो गये। हांलाकि इसके पहले भी इनकी भर्ती भारतीय सेना में हो चुकी थी। वहां से रमाशंकर ने त्याग पत्र दिया और रेलवे में चले आये। बीते 4 दिसम्बर को गोरखपुर जिले के खजनी तहसील के ग्राम चतुरबंदुआरी स्थित ज्ञान सिंह व्यायामशाला में सम्पन्न हुए यूपी केसरी कुश्ती प्रतियोगिता में 74 किलो भार वर्ग में कई पहलवानो को पटखनी देकर यूपी केसरी के खिताब पर कब्जा जमाया। इस प्रतियोगिता में कुल 150 पहलवानो ने हिस्सा लिया था।
इस खिताब के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और खेल मंत्री चेतन चैहान ने रमाशंकर यादव को 51 हजार रूपये देकर सम्मानित किया। वर्तमान समय में पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर में अपनी सेवाएं दे रहे है और तमाम दंगल प्रतियोगिताओ में भी रेलवे गोरखपुर की तरफ से भाग लेकर कुश्ती लड़ते है। रमाशंकर ने इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय सबसे पहले बौरहवा बाबा को फिर अपने माता-पिता को और पूर्व सांसद रमाकान्त यादव को दिया। उन्होने कहा कि कुश्ती के क्षेत्र में आने के बाद पूर्व सांसद रमाकान्त यादव ने उनकी जो सहायता की उसे भुलाया नहीं जा सकता। एक बातचीत में रमाशंकर ने बताया कि देश की जनता का जितना रूझान क्रिकेट व अन्य खेलो में है उतना अगर दंगल में होता तो लोगो का झुकाव भारत के मुख्य खेल कुश्ती को काफी बढ़ावा मिलता।
गांव में प्रतिभाएं तो बहुत हैं लेकिन उन्हें निखारने की जरूरत है। उन्होने एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी यूपी केसरी तक के सफर में एक बात साफ दिखी कि यदि ग्रामीण प्रतिभाओ को उपयुक्त समय पर उचित दिशा मिले तो ये प्रतिभाएं भी राष्ट्रीय और अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा सकती हैं। रमाशंकर का सपना है कि वह मेहनत कर एक बार राष्ट्रीय टीम की तरफ से अपने देश के लिए खेले। इसी सपने को लेकर वह दिनरात अखाड़े में रियाज करते रहते है। रमाशंकर अपने तीन भाई और एक बहन में दूसरे नम्बर तथा शादी-शुदा है। सबसे बड़े भाई गरीबी के चलते पढ़ाई कर आज भी किसानी कर रहे है तो वही सबसे छोटा भाई भी रमाशंकर के नक्शेकदम पर चलकर पहलवानी का गुण सिख रहा है। छोटे भाई को रमाशंकर का अच्छा दिशा-निर्देशन मिलता है।
प्रतिभाएं ग्रामीण और गरीब, किसान के परिवार से निकलती है: रमाकान्त पूर्व सांसद रमाकान्त यादव ने यूपी केसरी मंे अपना परचम लहराने वाले रमाशंकर यादव को अपने आवास पर सम्मानित करते हुए खुशी जताई। कहा कि आजमगढ़ के इस नौजवान की कुश्ती लड़ने की जो कला थी पहले ही ये संकेत दे चुकी थी कि इसे राष्ट्रीय-अन्र्तराष्ट्रीय पहलवान बनना है। उन्होने रमाशंकर यादव को यूपी केसरी बनने की बधाई तो दी ही साथ ही उम्मीद जताया कि यदि ये अपना नियमित व्यायाम करते रहे तो इन्हे एक दिन अन्र्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओ में भारत की तरफ से खेलने का मौका जरूर मिलेगा। ये भी ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े एक गरीब किसान के बेटे रहे लेकिन इनकी प्रतिभा और मेहनत ने इनको इस मुकाम तक पहुंचा दिया। प्रतिभाएं किसी की मोहताज नहीं होती। यदि व्यक्ति में लगन और मेहनत है तो उसका मुकाम निश्चित मिलेगा।
by Ran Vijay Singh
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