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आजमगढ़

UP Assembly Elections 2022: 1989 के बाद सगड़ी में कभी नहीं जीती कांग्रेस, भाजपा का आज तक नहीं खुला है खाता

UP Assembly Elections 2022 आजमगढ़ जिले की सगड़ी विधानसभा सीट वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई। जबकि भाजपा का आजतक यहां खाता नहीं खुला है। इस चुनाव में बसपा विधायक वंदना सिंह का बीजेपी से लड़ना तय माना जा रहा है। वहीं बसपा सपा नेता शंकर यादव पर दाव लगा सकती है। सपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले है। ऐसे में यहां लड़ाई दिलचस्प होने की संभावना है।

आजमगढ़Jan 15, 2022 / 12:33 pm

Ranvijay Singh

प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. UP Assembly Elections 2022 जिले की सगड़ी विधानसभा सभा एक ऐसा क्षेत्र है जहां के लोग कभी किसी पार्टी के बंधन में नहीं बंधे। यहां के लोगों ने सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट, निर्दल से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस तक को मौका दिया लेकिन यह क्षेत्र आज भी विकास में पिछड़ा हुआ है। इस सीट पर बीजेपी का खाता नहीं खुला है तो वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है। तीन दशक से यह क्षेत्र सपा-बसपा का गढ़ बना हुआ है। वर्ष 2022 के चुनाव में यहां लड़ाई दिलचस्प होती दिख रही है। भाजपा इस बार बसपा विधायक वंदना सिंह पर दाव लगाने के मूड में है तो सपा से सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव के करीबी शंकर यादव का चुनाव लड़ना लगभग तय है। सपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं तो कांग्रेस ने महिला नेता राना खातून को मैदान में उतार दिया है।

गौर करें तो सगड़ी विधानसभा क्षेत्र जिले के उत्तरांचल में स्थित है। इस क्षेत्र से घाघरा नदी गुजरी है जिसके कारण यहां के लोग प्रतिवर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं। यातायात, उद्योग, सड़क यहां की बड़ी समस्या है। यहां दलित मतदाता सर्वाधिक है लेकिन हार जीत में बड़ अंतर पैदा करते हैं 60000 कुर्मी मतदाता। यह जिसके साथ खड़े होते हैं उस पार्टी के प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा आसानी से बंध जाता है। कांग्रेस यहां से कुल पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुकी है। जबकि दूसरे नंबर पर सबसे सफल पार्टी के रुप में बसपा रही। सपा यहां से तीन बार चुनाव जीती है। जबकि भारतीय जनता पार्टी यहां खाता खोलने को लेकर तरसती रही है। खास बात है कि यहां के लोग कभी एक दल से बंध कर नहीं रहे बल्कि सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट से लेकर निर्दल तक को मौका दिए।

वर्ष 1951 के चुनाव में यहां के लोगों ने सोशलिस्ट पार्टी के स्वामी सत्यानंद को विधायक चुना था। वर्ष 1953 में इसी पार्टी के विश्राम राय यहां से विधायक चुने गए। वर्ष 1957 में यहां के लोगों ने निर्दल प्रत्याशी इंद्रभूषण गुप्ता को प्रतिनीधित्व का मौका दिया। वर्ष 1962 में कांग्रेस यहां कांग्रेस ने पहली बार जीत हासिल की और इंद्रासन सिंह विधायक चुने गए। वर्ष 1967 भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मुंशी नर्वदेश्वर लाल यहां विधायक बने। वर्ष 1969 और 1974 में लगातार कांग्रेस ने जीत हासिल की लेकिन वर्ष 1977 में जनता पार्टी ने पहली बार यहां खाता खोला। 1980 में कांग्रेस के पंचानन राय और 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी से रामजनम यादव ने जीत हासिल की। 1989 में पंचानन राय ने फिर यहां कांग्रेस का जीत दिलाई। वर्ष 1991 में बसपा प्रत्याशी बरखू राम वर्मा यहां से विधायक चुने गए। 1996 में रामप्यारे सिंह ने यहां सपा का खाता खोला। इसके बाद वर्ष 2002 में बसपा के मलिक मसूद, 2007 में सपा के सर्वेश सिंह सीपू, 2012 में सपा के अभय नरायन पटेल, 2017 में बसपा की वंदना सिंह ने जीत हासिल की।

सगड़ी में मतदाताओं की स्थिति-
जिला मुख्यालय से 20 किमी उत्तरांचल में स्थित सगड़ी विधानसभा क्षेत्र में कुल 333730 मतदाता है। जिसमें 178092 पुरूष, 155626 महिला तथा 12 अन्य मतदाता शामिल हैं। सगड़ी विस क्षेत्र में कुल 300 मतदान केंद्र हैं। क्षेत्र में 20 से अधिक डिग्री कालेज, 30 से अधिक इंटरमीडिएट कालेज और लगभग 200 जूनियर और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं।

सगड़ी में जातिगत स्थिति
जातिवार देखे तो सगड़ी में लगभग 85000 दलित, 62000 यादव, 45000 मुस्लिम, 60000 कुर्मी, 22000 क्षत्रिय, 15000 हजार ब्राह्मण, 18000 भूमिहार, 16000 बनिया, 12000 चौहान और 7000 राजभर, 9000 मल्लाह मतदाता है। अन्य जाति के मतदाताओं की संख्या सीमित है। यहां हमेंशा कुर्मी मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं।

सबसे बड़ी समस्या
सगड़ी विधानसभा की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है। बाढ़ से यहां प्रति वर्ष करोड़ों का नुकसान होता है। यहां के लोग बाढ़ से होने वाली क्षति को रोकने के लिए पिछले चार दशक से रिंग बांध बनवाने की मांग कर रहे हैं लेकिन आज तक किसी सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया है।

 

सगड़ी में कब कौन बना विधायक
1951 स्वामी सत्यानंद सोशलिस्ट पार्टी
1953 विश्राम राय सोशलिस्ट पार्टी
1957 इंद्रभूषण गुप्ता निर्दल
1962 इंद्रासन सिंह कांग्रेस
1967 मुंशी नर्वदेश्वर लाल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1969 राम कुंवर सिंह कांग्रेस
1974 राम सुंदर पांडेय कांग्रेस
1977 रामजनम यादव जनता पार्टी
1980 पंचानन राय कांग्रेस
1985 रामजनम यादव दलित मजदूर किसान पार्टी
1989 पंचानन राय कांग्रेस
1991 बरखू राम वर्मा बसपा
1993 बरखू राम वर्मा बसपा
1996 रामप्यारे सिंह सपा
2002 मलिक मसूद बसपा
2007 सर्वेश सिंह सीपू सपा
2012 अभय नरायन पटेल सपा
2017 वंदना सिंह बसपा

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