scriptनेताजी के दाव से चारो खाने चित्त हो गए थे केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय, वर्ष 1994 में मंच से मुलायम ने की थी आजमगढ़ मंडल की घोषाण, साथ लाए थे कमिश्नर | Mulayam Singh announc Azamgarh Mandal in 1994 from Jaji ground commissioner came by helicopter | Patrika News
आजमगढ़

नेताजी के दाव से चारो खाने चित्त हो गए थे केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय, वर्ष 1994 में मंच से मुलायम ने की थी आजमगढ़ मंडल की घोषाण, साथ लाए थे कमिश्नर

सपा संरक्षक मुलायम सिंह का चरखा दाव काफी मशहूर था। वे अक्सर अपने विरोधियों को बड़ी आसानी से पटखनी देते थे। ऐसे ही एक वाक्या आजमगढ़ है जब पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ राय ने मऊ को मंडल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन मुलायम सिंह यादव ने मंच से ही आजमगढ़ को कमिश्नरी बनाने की घोषणा के साथ ही मंडलायुक्त और डीआईजी की तैनाती कर सबको चौंका दिया था।

आजमगढ़Oct 10, 2022 / 04:09 pm

Ranvijay Singh

मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. सपा संरक्षक मुलायम सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में आजमगढ़ को कई बड़ी सौगात दी लेकिन यहां के लोगों ने जब मुलायम का चरखा दाव देखा तो दंग रहे गए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ के रहते किसी को उम्मीद नहीं थी कि आजमगढ़ मंडल बन पाएगा। करण कि कल्पनाथ ने मऊ को मंडल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। उसी समय वर्ष 1994 में मुलायम सिंह ने बड़ा दाव चला था। उन्होंने अपने मंच से ही आजमगढ़ को कमिश्नरी बनाने की घोषणा की और तत्काल कमिश्नर और डीआईजी की तैनाती भी कर दी। खास बात थी कि मुलायम सिंह कमिश्नर को अपने साथ लेकर आए थेे। इस दाव से कल्पनाथ राय पूरी तर चित्त हो गए थे। वहीं वर्ष 2014 में जब मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए तो हारजीत के अंतर को लेकर नाराजगी के चलते उन्होंने जिले से दूरी बना थी। इसके बाद वर्ष 2016 में भाजपाइयों के यहां मुलायम की गुमशुदगी के पोस्टर लगाए थे। लालटेन के उजाले में उनकी तलाश कर विरोध प्रदर्शन किया था। उस समय सपा सरकार ने कई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

बता दें कि मुलायम सिंह यादव को जिले से जितना लगाव था यहां के लोग उतना ही नेता जी का सम्मान करते थे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो सपा यहां हमेंशा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यहां के लोगों ने हमेंशा खुलकर मुलायम सिंह यादव का सपोर्ट किया। वर्ष 1992 में सपा के गठन के बाद जब मुलायम सिंह यादव वर्ष 1993 में बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई तो उसमें आजमगढ़ की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जिले की सभी दस सीटों पर गठबंधन का कब्जा हुआ था।

इसी के बाद वर्ष 1994 में आजमगढ़, मऊ और बलिया को मिलाकर मंडल बनाने की बात चली। केंद्रीय मंत्री कल्पनाथ पासवान चाहते थे कि मऊ मंडल मुख्यालय बने। इसके पीछे तर्क था कि मऊ आजमगढ़ और बलिया के मध्य स्थित है। इससे लोगों को आसानी होगी। इसके लिए कल्पनाथ राय ने पूरी ताकत लगा दी थी। चुंकि कल्पनाथ राय की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती थी और उन्हें पूर्वांचल में विकास पुरुष के रुप में जाना जाता था, इसलिए सभी यह मान लिए थे कि वे अपने मकसद में कामियाब हो जाएंगे लेकिन अंतिम समय में मुलायम सिंह यादव ने बाजी पलट दी।

चर्चा थी कि कभी भी मंडल की घोषणा हो सकती है। इसी बीच मुलायम सिंह की आजमगढ़ में जनसभा लगी। जजी मैदान में सभा चल रही थी तभी नेताजी ने आजमगढ़ को कमिश्नरी का दर्जा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि आजमगढ़ को कमिश्नरी बनाया जाता है। वे वरिष्ठ आईएएस अफसर प्रेमनारायण को अपने साथ लेकर आए थे। मंच से ही उन्होंने घोषणा कर दी कि प्रेमनारायण आजमगढ़ के पहले कमिश्नर होंगे। इसके बाद उन्हें तत्काल कार्यभार भी ग्रहण करा दिया गया। यहीं नहीं अगले ही दिन यहां डीआईजी की भी तैनाती कर दी गई। मुलायम सिंह के इस दाव से तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री कल्पनाथ राय चारों खाने चित्त हो गए थे।

इसके बाद पूर्वांचल में सपा सपा का वर्चश्व बढ़ता गया और कांग्रेस का पतन शुरू हुआ तो अब तक जारी है। वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से सांसद चुने गए। चुनाव में हारजीत का अंतर मात्र 63 हजार मतों का था। इससे मुलायम आहत थे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने आजमगढ़ से दूरी बना ली। फिर भाजपा के लोगों ने ब्रजेश यादव के नेतृत्व मेें मुलायम सिंह यादव के गुमशुदा होने का पोस्टर शहर में चिपका दिया और लालटेन लेकर उनकी तलाश में निकले। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई गई।

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